उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने समाजवादी पार्टी और उसके प्रमुख अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की जनता को छोटी याददाश्त वाला समझते हैं, लेकिन जनता अब जागरूक है और गुमराह नहीं होगी।
उन्होंने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि 2012 से 2017 तक की समाजवादी सरकार ने भ्रष्टाचार, परिवारवाद, जंगल कब्जा, खनन घोटाले और सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग को संस्थागत रूप से बढ़ावा दिया। उस कार्यकाल में चारों तरफ भाई-भतीजावाद और अपराधियों का बोलबाला था, जिसका जवाब जनता ने उन्हें दो बार सत्ता से बाहर करके दिया है।
JPNIC को भ्रष्टाचार का गढ़ बना दिया
बृजेश पाठक ने अखिलेश यादव के हालिया बयान पर पलटवार करते हुए JPNIC (जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर) के मुद्दे पर कहा कि आपने इसे भ्रष्टाचार का गढ़ बना दिया था, जबकि यह जनता की गाढ़ी कमाई से बना केंद्र था। हमारी सरकार ने कैबिनेट से प्रस्ताव पास कर इसे एलडीए को सौंप दिया ताकि यह संपत्ति आम लोगों की सेवा में लगे। यह आपकी निजी संपत्ति नहीं थी।
वन भूमि और जंगलों पर समाजवादी गुंडों ने किए कब्जे
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि समाजवादी पार्टी के शासन में पार्टी का झंडा लगाकर वन भूमि और जंगलों पर कब्जा किया जाता था। पेड़ काटे गए, जंगल उजाड़े गए। लेकिन आज ऐसे लोगों को जेल भेजा जा चुका है और अब कोई वन भूमि की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देख सकता।
लूट और बंदरबांट का केंद्र बन गया था खनन विभाग
उन्होंने कहा कि खनन माफिया समाजवादी पार्टी की सत्ता में खुलेआम सक्रिय थे। रोज खनन मंत्री बदलते थे और पार्टी नेताओं के चरणों में बैठने वालों को खनन मंत्रालय दिया जाता था। यह पूरा विभाग ही लूट और बंदरबांट का केंद्र था।
स्वास्थ्य सेवाओं की तुलना, ‘तबेला बनाम ट्रॉमा सेंटर’
बृजेश पाठक ने कहा कि आज यूपी के सभी सीएचसी व सरकारी अस्पतालों में कुत्ता, बंदर और सांप काटने तक के इंजेक्शन उपलब्ध हैं, जबकि समाजवादी सरकार के समय अस्पताल तबेला बनकर रह गए थे। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में आज सभी ज़रूरी दवाइयां मुफ्त उपलब्ध हैं, यह पहले की तरह सिर्फ पोस्टर पर नहीं है।
रिवर फ्रंट में हुआ घोटाला
गोमती रिवर फ्रंट को लेकर उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजना कुछ सौ करोड़ की थी, लेकिन हजारों करोड़ खर्च कर दिए गए। जनता के पैसे की खुली लूट हुई। पाठक ने कहा कि यह परियोजना समाजवादी पार्टी की आर्थिक अनियमितता और सौंदर्यीकरण के नाम पर लूट का उदाहरण है।