समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव आयोग न्याय करेगा या नहीं, इस पर बहस होनी चाहिए। उस पर वोट चोरी के जो आरोप लगे हैं, उसकी सफाई देना स्वयं चुनाव आयोग की विश्वसनीयता एवं चुनावी पारदर्शिता के लिए जरूरी है। जनता का विश्वास किसी संवैधानिक संस्था से डिगा तो उसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। ऐसा लगता है कि भाजपा भ्रष्टाचार का विश्वविद्यालय है और चुनावी भ्रष्टाचार का ब्रह्मांड विश्वविद्यालय।

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अखिलेश ने रविवार को जारी अपने बयान में कहा कि सबसे ज्यादा फर्जी वोटर भाजपा ने बनवाए है। भाजपा के चुनावी हथकंडे अब उजागर हो चुके हैं। भाजपा कुछ लोगों की मिलीभगत से अपने समर्थक फर्जी मतदाताओं का नाम बढ़ा देती है और चुनावी अधिकारियों से साठगांठ कर कभी अपने विरोधियों के नाम मतदाता सूची से गायब कर देती है। 

भाजपा चुनाव में लगे अपने चुनिंदा अधिकारियों को बाकायदा टारगेट देती है कि कितने फर्जी वोट डालना है। कुंदरकी, मीरापुर और अयोध्या के मिल्कीपुर उपचुनावों में भाजपा के वोट हथियाने के तरीकों की बानगी दिखाई दी थी। मतदाता सूची में हेराफेरी के मामलों में 18 हजार एफिडेविट चुनाव आयोग को सपा ने दिए थे, उन पर कार्यवाही का पता नहीं चला। आयोग कुंडली मारकर बैठ गया है। यह साफ है कि चुनाव आयोग की साख बहुत हद तक जनता की निगाहों में गिर गई है। वर्ष 2027 के चुनाव में भाजपा और चुनाव आयोग की सांठगांठ से वोटों की हेराफेरी और जबरन चोरी कतई नही होने पाएगी।



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