
दुष्कर्म का आरोपी मोईद खान।
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अयोध्या में नाबालिग के साथ गैंगरेप के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने समाजवादी पार्टी के नेता मोईद अहमद की जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि अभियुक्त को जमानत देने से न्यायालय में चल रहे ट्रायल पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने जमानत याचिका पर अभियुक्त के अधिवक्ता, अपर महाधिवक्ता, राजकीय अधिवक्ता और अपराध की शिकायत करने वाले व्यक्ति के अधिवक्ता के पक्ष को सुनकर गुरुवार को अपना फैसला सुनाया।
वादी के अधिवक्ता ने अदालत से गुजारिश की कि पीड़िता ने सहअभियुक्त राजू खान पर सपा नेता की बेकरी में गैंगरेप करने का आरोप लगाया है। पीड़िता का आरोप है कि आरोपियों ने दुष्कर्म का वीडियो भी बनाया और उसे वायरल करने की धमकी देकर पीड़िता के साथ कई बार दुष्कर्म किया गया। जबकि आरोपी के फोन में ऐसे किसी वीडियो की पुष्टि नहीं हो सकी है। इसके साथ ही याची की उम्र लगभग 70 साल है जो दुष्कर्म जैसे अपराध में संलिप्तता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
अपर महाधिवक्ता ने बताया कि पीड़िता के भ्रूण की डीएनए रिपोर्ट सहअभियुक्त राजू खान से मैच हो गई है जो आरोपी सपा नेता का नौकर है। गैंगरेप के मामले में एक अभियुक्त की रिपोर्ट मैच होने पर अपराध की पुष्टि होती है। साथ ही मेडिकल साइंस के जानकारों के अनुसार दुष्कर्म के आरोपितों में यदि एक आरोपी 70 वर्ष का है और दूसरा 20 वर्ष का तो युवा आरोपी से डीएनए रिपोर्ट मैच होने होने की संभावना ज्यादा होती है। इसके अलावा शिकायत करने वाले पीड़िता के पिता के अधिवक्ता ने भी जमानत का विरोध किया। उन्होंने बताया कि मामले की जांच के दौरान पीड़िता और उसके परिवारजनों को जान से मारने की धमकी दी गई थी जिस पर 2 अगस्त 2024 को एफआईआर भी कराई गई थी।
न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनकर आरोपी सपा नेता की जमानत खारिज कर दी। साथ ही उन्होंने कहा कि पॉक्सो एक्ट की धारा 35(1) के अनुसार पीड़िता के बयान मामला अदालत में पहुंचने के 30 दिन के भीतर रिकार्ड किए जाने चाहिए। उन्होंने आदेश दिये कि पीड़िता के बयान आज से तीस दिन के अंदर रिकार्ड किए जाएं।
अदालत ने यह भी आदेश दिया कि पीड़िता के पिता जो शिकायतकर्ता भी हैं उनके बयान भी एक माह के अंदर रिकार्ड किए जाने चाहिए। यदि आवश्यक हो तो ट्रायल कोर्ट में मामले की सुनवाई रोजाना की जानी चाहिए। अदालत ने अयोध्या के पुलिस अधीक्षक को भी आदेश दिए कि पीड़िता और शिकायतकर्ता के अदालत में बयान रिकार्ड कराने के दौरान उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाए। अदालत ने विधि विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक को भी आदेश दिया कि अपराध से संबंधित मोबाइल फोन की जांच कर चार हफ्तों में रिपोर्ट भेजी जाए।