District chiefs are not appointed in UP BJP.

– फोटो : अमर उजाला

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लोकसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है और भाजपा के जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का इंतजार बढ़ता जा रहा है। संगठनात्मक फेरबदल का सर्वे पूरा होने के करीब डेढ़ महीने बाद भी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं होने से एक ओर जहां संगठनात्मक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। वहीं दावेदारों की लखनऊ से दिल्ली तक की दौड़ भी थम नहीं रही है।

भाजपा ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए जुलाई के दूसरे सप्ताह में सभी जिलों में पर्यवेक्षक भेजे थे। पर्यवेक्षकों ने 15 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह को सौंप दी थी। उसके बाद पार्टी की ओर से 25 जुलाई तक नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति करने का संकेत दिया गया था। पार्टी की ओर से निर्धारित तिथि के करीब डेढ़ महीने बाद भी पार्टी के कार्यकर्ताओं को जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का इंतजार है।

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पार्टी सूत्रों का कहना है कि सूची जारी नहीं होने से मौजूदा जिलाध्यक्ष भी असमंजस की स्थिति में हैं। पद पर बने रहने के जुगाड़ में वह लखनऊ से दिल्ली तक सरकार, संगठन और संघ के प्रमुख लोगों के यहां दस्तक दे रहे हैं। इससे मन की बात, हर घर तिरंगा जैसे कार्यक्रमों का भी अपेक्षा के अनुरूप आयोजन नहीं हो सका है। इतना ही नहीं नए जिलाध्यक्ष नियुक्त नहीं होने से लोकसभा चुनाव से जुड़े मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान सहित अन्य कार्यक्रम भी प्रभावित हो रहे हैं।

बड़े बदलाव पर नहीं बनी सहमति

भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने शुरुआती दौर में करीब 60-70 फीसदी तक जिलाध्यक्ष बदलने के संकेत दिए थे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव से पहले इतने बड़े बदलाव के लिए प्रदेश स्तर पर पार्टी व सरकार के वरिष्ठजनों के बीच सहमति नहीं बनी है। रणनीतिकारों का मानना है कि ज्यादा बड़ा परिवर्तन करने से चुनावी गतिविधियां प्रभावित होंगी।

दो कार्यकाल पूरा करने वाले बदले जाएंगे

भाजपा के 98 संगठनात्मक जिलों के पार्टी अध्यक्षों में ऐसे जिलाध्यक्ष बदले जाएंगे जो दो कार्यकाल (पांच वर्ष) पूरे कर चुके हैं। इनके अतिरिक्त विधानसभा चुनाव से लेकर नगरीय निकाय चुनाव तक जिन जिलाध्यक्षों की भूमिका पर सवाल उठे उन्हें भी हटाया जाएगा। ऐसे करीब 25 से 30 जिलाध्यक्ष बदले जा सकते हैं।



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