
राजरानी रावत
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आखिरकार भाजपा ने बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र से राजरानी रावत को प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसी के साथ जिले की राजनीतिक सरगर्मियां और तेज हो गई। मौजूदा सांसद उपेंद्र सिंह रावत इस बार मैदान में नहीं होंगे। राजरानी को टिकट देकर भाजपा ने राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को दर्शाया है।
भाजपा की पिछली सूची में मौजूदा सांसद उपेंद्र सिंह रावत को ही प्रत्याशी बनाया गया था। लेकिन घोषणा के अगले ही दिन एक अश्लील वीडियो वायरल होने के बाद उन्होंने स्वयं घोषणा कर दी कि जब तक निर्दोष नहीं साबित हो जाते चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसी के बाद भाजपा की केंद्रीय कार्य समिति को बाराबंकी का प्रत्याशी घोषित करना था। करीब 20 दिन के लंबे इंतजार के बाद भाजपा ने राजरानी रावत के नाम की घोषणा की।
राजरानी का राजनीतिक इतिहास करीब 29 साल पुराना हैं। भाजपा के समर्थन पर राजरानी रावत ने वर्ष 1995 में निंदूरा प्रथम से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा था और भारी मतों से जीत दर्ज की थी। वर्ष 1996 में फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं लेकिन सपा के हरदेव रावत से मात्र 509 वोटों से चुनाव हार गईं। इसके बाद साल 2000 में फिर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। साल 2002 में भाजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ीं और पहली बार विधायक बनीं।
2021 में भी भाजपा ने नामांकन से मात्र दो दिन पहले जिला पंचायत अध्यक्ष पद का प्रत्याशी राजरानी को बनाया था। राजरानी ने सपा की नेहा आनंद को हराया था। भाजपा के टिकट को लेकर पिछले दिनों से चर्चा चल रही थी। लेकिन अंत में समीकरण बदले और तीन नाम सामने आए। राजारानी का नाम इन्ही में शामिल था। रविवार की देर शाम तक भाजपा नेताओं के मोबाइल फोन बिजी रहे। सोशल मीडिया में भी राजरानी को बधाइयां मिलती रही।
