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– फोटो : अमर उजाला
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पिछले कई दशकों से भाजपा के धार्मिक एजेंडे में शामिल रहे अयोध्या सटे अंबेडकरनगर जिले की कटेहरी विधानसभा में हो रहे उपचुनाव में जीत दर्ज करना भाजपा के साथ ही सपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। भाजपा इस चुनाव जीतने के लिए इसलिए जोर लगाए हुए कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने के बाद यह विधानसभा स्तर पर पहला चुनाव है।
वहीं, लगातार दो बार से सपा के खाते में रही इस सीट को बचाने को लेकर सपा भी जद्दोजहद करती दिख रही है। भाजपा, सपा और बसपा के उम्मीदवार अपने-अपने कोर वोट बैंक के साथ ही दूसरे वोट बैंक में सेंधमारी के जरिये जीत का समीकरण बिठाने में जुटे हैं, पर क्षेत्र के भ्रमण के दौरान जनता का मिजाजा यही बता रहा है कि जीत का सेहरा उसी के सिर बंधेगा, जो प्रत्याशी दलित बहुल इस सीट पर दलितों को रिझाने में सफल होगा।
कटेहरी विधानसभा में तीन दशक से ज्यादा वक्त से जहां भाजपा ने जीत का स्वाद नहीं चखा है। क्या भाजपा जीत के सूखे को इस बार दूर कर पाएगी या फिर बसपा-सपा का चल रहा क्रम ही दोहराएगा। इसे समझने के लिए हम मंगलवार को कटेहरी पहुंचे। वहां के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की गलियों, मोहल्लों के लोगों के मिजाज को भांपने की कोशिश की।
हर वर्ग और जाति के लोगों के चुनावी चर्चा के दौरान यह साफ हो गया है कि इस बार के उपचुनाव में मुद्दे के बजाय प्रत्याशियों की छवि और जातिगत समीकरण ही चुनाव परिणाम तैयार करेंगे। चर्चा में पहली चीज यह समझ में आई जातिगत आंकड़ों का सियासी गणित।