UP by-election: Unlike Lok Sabha, Dalits distanced themselves from SP, not being seen with Congress also suffe

यूपी उपचुुनाव।
– फोटो : अमर उजाला।

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यूपी की नौ सीटों पर हुए चुनावों के परिणामों ने एक बात साबित कर दी कि दलित लोकसभा चुनाव से उलट पूरी तरह से सपा के पाले में नहीं गया है। दलित बंटे हुए दिखाई दिए। कुछ प्रतिशत मायावती को जरूर मिला लेकिन बड़ी संख्या में वोट बीजेपी के पाले में जाता हुआ दिखा। कांग्रेस के इस चुनाव में न उतरने का नुकसान भी इंडिया गठबंधन को हुआ। पारंपरिक दलित वोटरों ने साइकिल के सिंबल का दबाने से परहेज किया। 

लोकसभा चुनाव में हुआ था फायदा 

2024 में ही हुए लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा। संविधान बचाने और जातीय जनगणना के मुद्दे पर दलित वोट बैंक बड़े स्तर पर सपा और कांग्रेस के साथ गया। अनुमानों के विपरीत सपा प्रदेश में 37 सीटें जीतने में सफल रही। कांग्रेस को छह सीटें मिलीं। राजनीतिक टीकाकारों के अनुसार उस समय बड़ी संख्या में दलित वोटरों ने सपा और कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया था। इस बार वह असर गायब दिखा। चुनाव परिणाम इस बात का इशारा कर रहे हैं कि सपा दलितों को फिर से अपने पाले में रखने में नकामयाब रही है। 

कांग्रेस ने बनाई दूरी

लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस के बीच जबर्दस्त जुगलबंदी देखने को मिली। कई सीटों पर राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने संयुक्त जनसभाएं कीं। इस चुनाव में गठबंधन में सही सीटें न मिल पाने की वजह से कांग्रेस ने चुनावों से किनारा कर लिया। कांग्रेस चार सीटें मांग रही थी लेकिन सपा ने उसे दो सीटें दीं। जब यह गठबंधन नहीं हुआ तो कांग्रेस की तरफ से यह कहा गया कि ये प्रत्याशी सपा के प्रत्याशी न होकर इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी हैं और कांग्रेस भी इनका चुनाव प्रचार करेंगी। पर ऐसा नहीं हुआ। राहुल और प्रियंका ने पूरी तरह से यूपी से दूरी बनाई। राहुल की एक भी जनसभा सपा प्रत्याशी के समर्थन में नहीं हुई। केंद्रीय नेतृत्व के साथ-साथ राज्य की लीडरशिप भी इन चुनावों में सपा प्रत्याशियों से दूर दिखी। 



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