16 से 25 साल की उम्र, आर्थिक रूप से कमजोरी, परिवार का साथ न मिलना और नौकरी की जरूरत…। अवैध कराने वाले गिरोह के निशाने पर जरूरतमंद से लेकर परेशान, उच्च शिक्षित से लेकर मजदूर वर्ग तक के लोग थे। उन्हें कहीं न कहीं मदद का भरोसा देकर जाल में फंसा लिया जाता था। फिर हिंदू धर्म के बारे में भड़काया जाता था।
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आगरा धर्मांतरण कांड।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने बताया कि गिरोह में छह लोग ऐसे हैं, जिन्होंने पूर्व में अपना धर्म परिवर्तन किया था। इसके बाद वह अन्य लोगों का भी धर्म परिवर्तन करा रहे थे। मुक्त कराई सात युवतियों से पुलिस ने पूछताछ की। एक युवती ऐसी थी, जिसने बताया कि वो पढ़ाई करने घर से बाहर गई थी। एग्जाम पास करने के बाद प्रवेश तो मिल गया, मगर अन्य खर्चों के लिए उसे रुपयों की जरूरत थी।
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आगरा धर्मांतरण केस।
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पिता के पास दो बीघा ही जमीन थी। इससे घर का खर्च मुश्किल से चल पाता था। बेटी की पढ़ाई के लिए वह पैसा नहीं भेज पा रहे थे। एक महीने के बाद उन्होंने खर्च के लिए रकम भेजना बंद कर दिया। इससे युवती को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। तभी वह गिरोह के संपर्क में आ गई। उसे मदद दी जाने लगी। इससे उसे उनके धर्म में विश्वास होने लगा। वह जाल में फंस गई। इसी तरह बरेली और देहरादून की युवतियां भी गिरोह के संपर्क में आई थीं।
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Illegal conversion
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
इस तरह से ही गिरोह के निशाने पर कम उम्र के युवक-युवतियां रहते थे। जिनकी कोई न कोई मजबूरी होती। गिरोह के सक्रिय सदस्य इन लोगों को अपनी बातों में फंसा लेते। ग्रुपों में जोड़कर मुस्लिम धर्म का प्रचार करते। कश्मीर भी ले जाते। मजदूरी और सफाई कार्य से जुड़े लोग जल्दी उनकी बातों में आ जाते हैं। पैसा मिलने की वजह से आसानी से धर्म परिवर्तन कर लेते हैं।
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धर्मांतरण के आरोपी।
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16 साल की उम्र में जिन लोगों को फंसाया जाता है, उनके बालिग होने का इंतजार किया जाता है। इसके बाद ही घर छोड़ने के लिए बोला जाता है। इस बात की भनक उनके परिजन को भी नहीं लगने दी जाती, जिससे एक बार कोई घर छोड़ आए तो वापस नहीं जा सके। उनके परिजन उनको ढूंढ भी न सकें।