
यूपी रोडवेज बस
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रोडवेज बसों का फास्टैग हैक होने से दो करोड़ रुपये की चपत लगने की आशंका है। मुख्यालय के अफसरों में आनन-फानन सोमवार शाम साइबर थाने में तहरीर दी। हालांकि उनका कहना है कि खाते से अब तक कटौती का कोई मामला रोडवेज के किसी भी परिक्षेत्र से नहीं आया है। रोडवेज की बसों में एसबीआई और एक्सिस बैंक के फास्टैग लगे हैं। अधिकारियों ने बताया कि सोमवार शाम तकरीबन चार बजे बसों के टोल प्लाजा से गुजरने पर पहले लो बैलेंस का मैसेज आया। जबकि फास्टैग में रोजाना एक से दो करोड़ रुपये डाले जाते हैं, जिससे 11 हजार बसों को टोल से गुजरने पर दिक्कतें नहीं होती हैं। जब अधिकारियों ने लो बैलेंस के मैसेज के बाद खाते और फास्टैग चेक किए तो उसमें इन बैंकों की जगह आईडीएफसी बैंक दिखाने लगा।
अभी शिकायत नहीं मिली
अधिकारियों का कहना है कि किसी अतिरिक्त कटौती की शिकायत अभी तक नहीं मिली है। सुरक्षा के लिहाज से एक्सिस और एसबीआई को सूचना दी गई है। आईएफडीसी बैंक के अधिकारियों से भी बात की जा रही है। रोडवेज प्रवक्ता अजीत सिंह ने बताया कि अभी तक ट्रांजेक्शन का कोई केस सामने नहीं आया है।उधर, साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि रोडवेज बसों के फास्टैग को हैक करने के बाद उसमें लो बैलेंस शो किया। इससे टोल प्लाजा से गुजरने पर बसों को नकद भुगतान करना पड़ा, जोकि फास्टैग से कटने वाली धनराशि का दोगुना होता है। ऐसे में दो करोड़ रुपये की चपत लगने की आशंका है।
टोल प्लाजा, बैंकों की हो सकती है मिलीभगत
रोडवेज अधिकारियों ने बताया कि इस पूरे मामले में बैंकों व टोल प्लाजा की मिलीभगत हो सकती है। हालांकि इस मुद्दे पर अभी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन कैश में भुगतान होने पर टोल को ही फायदा होगा। बैंकों की मिलीभगत की भी जांच हो रही है।
जब रोडवेज वेबसाइट हो गई थी हैक
रोडवेज हैकरों के निशाने पर पहले भी आ चुका है। इससे पूर्व गत वर्ष मई में हैकरों ने रोडवेज वेबसाइट को हैक कर लिया था। जिससे टिकटिंग व्यवस्था ठप हो गई थी। कई दिनों तक ऑनलाइन सेवाएं ठप रही थीं। इसके बाद वेबसाइट की सुरक्षा में कई नए फीचर जोड़े गए थे।