
UP Lok Sabha Election
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दुनिया भर में भले ही बरेली की पहचान मुस्लिम सियासत के मरकज के रूप में है, मगर बरेली मंडल और इसके आसपास की लोकसभा सीटों से आजादी के बाद अब तक महज पांच मुसलमान सांसद ही चुने गए हैं। राजनीतिक दलों ने तो दिल खोलकर मुस्लिम चेहरों पर भरोसा जताया, लेकिन वे यहां के मतदाताओं को रिझा नहीं सके।
आजादी के बाद से अब तक बरेली, बदायूं, पीलीभीत और लखीमपुर खीरी का प्रतिनिधित्व करने के लिए ही पांच मुस्लिम चेहरे दिल्ली तक पहुंच पाए। वहीं आंवला, शाहजहांपुर और धौरहरा लोकसभा सीट से मुस्लिम उम्मीदवारों ने भाग्य तो खूब आजमाया, लेकिन मतदाताओं को अपने पक्ष में नहीं कर सके।
अंतिम बार 15 वर्ष पहले लखीमपुर खीरी से जफर अली नकवी कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद बरेली मंडल ओर आसपास की लखीमपुर खीरी व धौरहरा सीट से कोई मुस्लिम चेहरा सदन तक नहीं पहुंच पाया है।
बरेली लोकसभा सीट से पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की पत्नी बेगम आबिदा भी सांसद रह चुकी हैं। यहां की जनता ने उन्हें वर्ष 1981 और 1984 में दो बार अपनी आवाज बुलंद करने के दिल्ली भेजा। इससे पहले वर्ष 1980 में जनता पार्टी के मिसरयार खां भी बरेली से सांसद चुने जा चुके हैं।