
UP Lok Sabha Election 2024
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बागी बलिया की धरती से अपनी अलग सियासी पहचान रखने वाले चंद्रशेखर सिंह चार दशक तक भारतीय संसद के सदस्य रहे। 1977 से 2007 के बीच आठ बार वह बलिया लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद पहुंचे। हालांकि एक बार उन्हें 1984 में हार का मुंह देखना पड़ा।
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में चली सहानुभूति की लहर को वह भेदने में नाकाम रहे। इस चुनाव में उन्हें जगन्नाथ चौधरी ने हराया। हार की वजह से चंद्रशेखर जीत की हैट्रिक से वंचित हो गए। चंद्रशेखर ऐसे राजनेताओं की दुर्लभ नस्ल से थे, जो अपने पूरे सियासी सफर में अपनी समाजवादी विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध रहे।
वह साहस और दृढ़ विश्वास के प्रतीक थे। इसका उदाहरण उनकी ओर से समय-समय पर लिए गए फैसलों से मिलता है। चंद्रशेखर वैसे तो शुरू में कांग्रेस पार्टी से ही जुड़े रहे। 1962-1977 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे। ये काल उनके जीवन काल से हटा दें तो उन्होंने हमेशा कांग्रेस के विरोध की राजनीति की।
1977 में आपातकाल के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। इंदिरा गांधी के ”मुखर विरोधी” के तौर पर उनकी पहचान बनी। बलिया समेत पूरे देश के लोगों को शायद उनकी यही छवि प्रभावित करती थी। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने बलिया से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। हालांकि उनका पैतृक घर इब्राहिमपट्टी में है, जो बलिया और मऊ जिले की सीमा पर है।