
UP Lok Sabha Election 2024
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प्रदेश की करीब 23 लोकसभा सीटों पर प्रभाव रखने वाले निषाद समुदाय के लोग तकरीबन हर दल की नैया के खेवनहार बनते रहे हैं। यह उनकी सियासी ताकत ही है कि हर दल उन्हें लुभाने में जुटा हुआ है।
सत्तापक्ष मछुआ बोर्ड बनाने और मत्स्य विभाग को स्वतंत्र विभाग का दर्जा देने को बड़ी उपलब्धि बता रहा है, तो विपक्ष अपने कार्यकाल के दौरान समाज हित में किए गए कार्यों की दुहाई दे रहा है। यह बिरादरी इस बार किसके साथ रहेगी, इस पर सभी की निगाहें हैं।
23 लोकसभा सीटों पर निषाद समाज की आबादी करीब एक से तीन लाख तक है। निषाद के साथ ही इन्हें बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, बाथम, तुरैहा, धीमर, रायकवार के रूप में पहचाना जाता है। सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट के मुताबिक केवट, मल्लाह, निषाद की पिछड़ी जातियों में भागीदारी 4.33 फीसदी है और कहार, कश्यप की 3.31 फीसदी।
जबकि निषाद समुदाय के लोगों का दावा है कि समिति की रिपोर्ट में सिर्फ निषाद, मल्लाह, केवट को लिया गया है। मध्य उत्तर प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मल्लाह बिरादरी के लोग कश्यप लिखते हैं, जबकि विंध्य क्षेत्र में बिंद। ऐसे में इनकी कुल भागीदारी करीब आठ फीसदी है।