UP LS Elections: Division of Dalit votes in the last phase

मतदान का उत्साह…
– फोटो : अमर उजाला

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अंतिम चरण की 13 सीटों पर बसपा का हाथी दम नहीं दिखा सका। यही वजह रही कि दलित वोटों में काफी बिखराव देखने को मिला। यह बिखराव एनडीए और इंडिया, दोनों ही गठबंधनों के पक्ष में रहा। अब कौन इसका कितना हिस्सा ले गया, वही जीत-हार तय करेगा। सभी सीटों पर मुख्य मुकाबले में एनडीए और इंडिया के प्रत्याशी ही दिखे। दोनों के ही रणनीतिकारों का दावा है कि सातवें चरण की ज्यादातर सीटें उनके ही खाते में आएंगी।

वाराणसी : पीएम नरेंद्र मोदी की जीत के मार्जिन पर चर्चा

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पीएम नरेंद्र मोदी के पक्ष में अच्छी वोटिंग हुई। खास करके महिलाओं में ज्यादा उत्साह दिखा। पीएम मोदी की जीत पर किसी को संशय नहीं है। चर्चा जीत के मार्जिन पर हो रही है। हालांकि, कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय ने इस बार मजबूती से चुनाव लड़ा है। सपा के काडर वोटबैंक के सहारे टक्कर देने की पूरी कोशिश की है। मुस्लिम मतदाताओं के खूब वोट उन्हें मिले हैं। कुछ इलाकों में बसपा के अतहर जमाल लारी मुस्लिम वोटबैंक में सेंधमारी करते दिखे। बसपा का काडर वोट भी उन्हें मिला है।

बलिया : भाजपा-सपा के बीच कांटे की टक्कर

भाजपा प्रत्याशी नीरज शेखर और सपा प्रत्याशी सनातन पांडेय के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिला। सनातन पांडेय को सपा के काडर वोटबैंक का साथ मिला है। वहीं, कुछ ब्राह्मण मतदाताओं में भी उनके प्रति झुकाव दिखा। भाजपा को गैर यादव ओबीसी और भूमिहारों का समर्थन मिला है। क्षत्रिय एकजुट दिखे। ब्राह्मणों के मत भी भाजपा को मिले हैं। दलित मतों में बिखराव देखने को मिला। कुछ दलित सपा के साथ गए, तो कुछ भाजपा के साथ खड़े दिखे। जाटव बसपा के साथ रहे हैं। हालांकि, बसपा बहुत मजबूती से चुनाव लड़ती नहीं दिखी।

गाजीपुर : मुश्किल लड़ाई में फंसे हैं अफजाल अंसारी

सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी और भाजपा के पारसनाथ राय के बीच रोमांचक मुकाबला देखने को मिला। सपा प्रत्याशी को मुस्लिमों का साथ मिला है, लेकिन कुछ यादव भाजपा के साथ चले गए। गैर यादव ओबीसी के साथ ही दलितों और सवर्णों का साथ भी भाजपा को मिला है। कहा जाए तो अफजाल अंसारी मुश्किल लड़ाई में फंसे हुए हैं। भाजपा प्रत्याशी को मोदी-योगी के नाम का सहारा मिला है। महिला, युवा और बुजुर्गों ने मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

रॉबर्ट्सगंज : अद (एस) को मिला मोदी के नाम का सहारा

अपना दल (एस) और सपा के बीच सीधा मुकाबला है। मतदाता पूर्व सांसद पकौड़ी लाल कोल से नाराज थे। वे दो बार सांसद रहे हैं। इस बार पकौड़ी लाल का टिकट काटकर अपना दल (एस) ने उनकी बहू और विधायक रिंकी कोल को चुनाव मैदान में उतारा। इससे मतदाताओं की नाराजगी कुछ कम हुई। जो मतदाता अपना दल (एस) से दूरी बनाने की बात कर रहे थे, वे मोदी के नाम पर एकजुट हो गए। इसका फायदा रिंकी को मिल सकता है। हालांकि सपा प्रत्याशी छोटे लाल खरवार को भी हर वर्ग का समर्थन मिला है।

मिर्जापुर : अपना दल (एस)-सपा के बीच मुकाबला

अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को हर तबके का समर्थन मिला है। चुनार और मिर्जापुर नगर विधानसभा क्षेत्र में अनुप्रिया को अच्छी बढ़त मिलती दिखी। छानबे और मड़िहान में भी वह बढ़त बनाते दिखीं।  अलबत्ता मझवां में सपा की साइकिल तेज चलती दिखी। हालांकि, बूथों पर पहुंचे कुछ मतदाताओं की नाराजगी सांसद से थी, लेकिन विकास और योगी के नाम पर दूर नहीं जा सके। सपा प्रत्याशी रमेश बिंद मजबूती से चुनाव लड़े हैं। मुस्लिम और यादव के साथ ही कुछ गैर यादव ओबीसी का समर्थन भी उन्हें मिला है। कुछ दलितों ने भी उनको वोट दिए हैं।

चंदौली : त्रिकोणीय लड़ाई

केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय का सीधा मुकाबला सपा प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह से है। कुछ मतदाताओं में केंद्रीय मंत्री के खिलाफ नाराजगी दिखी, लेकिन मोदी-योगी के प्रति आकर्षण की वजह से वे भाजपा से किनारा नहीं कर सके। सवर्णों के साथ ही डॉ. महेंद्र को ओबीसी का भी साथ मिला। वीरेंद्र सिंह को सपा का काडर वोट मिला है। क्षत्रिय वोटबैंक में भी सेंधमारी करते दिखे। इस सीट से बसपा प्रत्याशी को भी ओबीसी का समर्थन मिला है। बसपा का काडर वोटर इधर-उधर नहीं गया। इससे लड़ाई त्रिकोणीय बनी हुई है।

घोसी : सपा-सुभासपा के बीच कांटे की टक्कर

सपा प्रत्याशी राजीव राय जहां काडर वोटबैंक के सहारे दिखे, वहीं भाजपा समर्थित सुभासपा प्रत्याशी अरविंद राजभर को ओबीसी के साथ ही सवर्ण मतदाताओं का समर्थन मिला है। इससे लड़ाई दिलचस्प हो गई है। बसपा प्रत्याशी बालकृष्ण चौहान काडर वोट ही पा सके हैं। चौहान बिरादरी में भी उनके प्रति झुकाव दिखा।

बांसगांव : भाजपा को भारी न पड़ जाए सांसद के प्रति नाराजगी

भाजपा और इंडी गठबंधन के प्रत्याशी में कड़ा मुकाबला देखने को मिला। भाजपा प्रत्याशी सांसद कमलेश पासवान के प्रति लोगों में नाराजगी मतदान के समय तक देखने को मिली। इसके चलते भाजपा के कोर वोटबैंक ब्राह्मण बिरादरी में मतों का बंटवारा देखने को मिला। इसके चलते सदल प्रसाद भाजपा को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। बांसगांव में जहां सवर्ण मतदाता भाजपा के साथ रहे, वहीं चिल्लूपार में मतों का बिखराव हुआ है। चौरीचौरा और रुद्रपुर में दलित के साथ निषाद मतदाता भी इंडी गठबंधन के साथ जाते दिखे। माना जा रहा है कि इस सीट से हार-जीत का फासला बहुत कम होगा।

देवरिया : भाजपा के वोटबैंक में सेंध लगाने में सफल दिखा गठबंधन

देवरिया लोकसभा के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी शशांक मणि और कांग्रेस के प्रत्याशी अखिलेश प्रताप सिंह के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिला। बसपा प्रत्याशी का खास प्रभाव नहीं दिखा। भाजपा को उम्मीद के अनुसार परंपरागत वोट मिलते दिखे। पर, अखिलेश भाजपा के वोटरों में भी काफी हद तक सेंधमारी करते दिखे। बसपा के संदेश यादव का खास असर नहीं दिखा। पांचों विधानसभा क्षेत्रों में ब्राह्मण, क्षत्रिय का झुकाव भाजपा और गठबंधन दोनों के पक्ष में देखने को मिला। कुर्मी व सैंथवार बिरादरी के कुछ  मतदाता अखिलेश प्रताप सिंह से प्रभावित दिखे। वहीं, देवरिया सदर से लेकर तमकुहीराज तक दलित मतदाताओं में भी गठबंधन सेंध लगाने में कामयाब होता दिखा।

गोरखपुर : सीधे मुकाबले में गठबंधन ने भी दिखाया दम

मुख्य मुकाबला भाजपा प्रत्याशी रवि किशन शुक्ल और इंडी गठबंधन से सपा उम्मीदवार काजल निषाद के बीच में दिखाई दिया। गोरखपुर सदर, गोरखपुर ग्रामीण और सहजनवा विधानसभा क्षेत्र में रवि किशन को अच्छी बढ़त मिलती दिखी। वहीं, पिपराइच और  कैंपियरगंज विधानसभा क्षेत्रों में काजल निषाद  को निषाद और सामान्य वर्गों का ठीक-ठाक समर्थन मिला है। गठबंधन उम्मीदवार को परंपरागत वोटों के साथ दलितों का भी वोट मिलता दिखा। लेकिन अन्य पिछडी जातियां भाजपा के साथ नजर आईं।

कुशीनगर : जातीय समीकरणों ने मुकाबले को बनाया रोमांचक 

जातीय समीकरणों में उलझी कुशीनगर लोकसभा सीट पर मुकाबला रोचक है। भाजपा प्रत्याशी विजय कुमार दुबे और इंडी गठबंधन उम्मीदवार अजय प्रताप सिंह उर्फ पिंटू सिंह सैंथवार के बीच मुख्य लड़ाई दिखी। भाजपा प्रत्याशी की अपने परंपरागत वोट पर पकड़ मजबूत दिखी। वहीं, इंडी गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में एम-वाई समीकरण के साथ-साथ सैंथवार बिरादरी के मतदाता भी वोट करते दिखे। इसके अलावा राष्ट्रीय शोषित समाज  पार्टी के उम्मीदवार स्वामी प्रसाद मौर्य और बसपा उम्मीदवार शुभनारायण चौहान का खास असर नहीं दिखा। हालांकि इनके पक्ष में भी  कुशवाहा और चौहान बिरादरी ने वोट किया है। बिरादरी के वोट काटने से प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों में मुकाबला रोमांचक हो गया है।

महराजगंज : बसपा ने की दलित वोटों में सेंधमारी

भाजपा प्रत्याशी पंकज चौधरी और गठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र चौधरी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली। बसपा प्रत्याशी मौसमे आलम ने दलित वोटों में सेंधमारी की, लेकिन असल मुकाबला तो गठबंधन व भाजपा के बीच ही दिखा। सदर विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का सबसे मजबूत गढ़  माना जाता है, लेकिन इस क्षेत्र में कई हिस्सों ने कांग्रेस प्रत्याशी ने सेंधमारी की है। फरेंदा में यह अनुपात बढ़ा हुआ दिखा। गठबंधन उम्मीदवार वीरेंद्र चौधरी इस क्षेत्र से विधायक हैं।  पनियरा और नौतनवा विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा व गठबंधन को वोट मिले हैं। बसपा का यहां भी प्रभाव नहीं दिखा। वहीं सिसवा में भाजपा को काफी मजबूत बताया जा रहा है।

सलेमपुर : सांसद से नाराजगी का दिखा असर, मामूली अंतर से ही हो सकती है जीत-हार

भाजपा के रवींद्र कुशवाहा व सपा के रमाशंकर राजभर में सीधी टक्कर देखने को मिली। बसपा के मतों में बिखराव हुआ है। सांसद और भाजपा प्रत्याशी रवींद्र कुशवाहा से नाराजगी से परंपरागत वोटर छिटकते दिखे। युवा भाजपा और गठबंधन दोनों तरफ बंटे। राजभर, यादव, मुसलमान जैसे परंपरागत वोटों के साथ गठबंधन उम्मीदवार को ब्राह्मण और क्षत्रिय वोट भी मिले हैं। भाजपा को कुशवाहा, ब्राह्मण,  ठाकुर अलावा कई बूथों पर लोहार, कुम्हार, तेली, खरवार बिरादरी के वोट भी मिलते दिखे। इससे भाजपा और गठबंधन में कांटे की टक्कर है। माना जा रहा है हार-जीत का फासला मामूली ही रहेगा।



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