UP: Mughal era Elephant Gate and Meena Bazaar ASI is going to conserve it after 100 years

आगरा किला
– फोटो : अमर उजाला

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मुगलों ने जिस आगरा किले से पूरे हिंदुस्तान पर राज किया, उस किले के हाथी गेट का 100 साल के बाद संरक्षण किया जा रहा है। यमुना किनारे सेना के कब्जे में रहे हिस्से की ओर हाथी गेट और इसके पास के वाटर गेट के बीच का संरक्षण शुरू किया गया है।

एएसआई ने वाटर गेट से लेकर हाथी गेट के बीच एप्रन बनाने का काम शुरू किया है। अंदरूनी दीवार से सटकर बनाए जा रहे एप्रन का एक हिस्सा बनकर तैयार भी हो गया है। ब्रिटिश काल में हाथी पोल की ओर की दीवारों का संरक्षण किया गया था, लेकिन उसके बाद से यहां बड़ी झाड़ियां उग आई थीं, जिससे यहां से निकलना मुमकिन ही नहीं था।

अधीक्षण पुरातत्वविद डाॅ. राजकुमार पटेल की अगुवाई में हाथी गेट से दिल्ली गेट और हाथी गेट से वाटर गेट की ओर की तस्वीर बदलने की कवायद शुरू की गई है। अधीक्षण पुरातत्वविद ने बताया कि वाटर गेट से हाथी गेट की ओर संरक्षण शुरू किया गया है। किले की खाई की अंदरूनी दीवार के सहारे एप्रन बनाया जा रहा है, जिससे आवागमन के साथ दीवार को मजबूती मिलेगी।

मीना बाजार में आखिरी चरण का संरक्षण

आगरा किले के मीना बाजार में तीन हिस्से हैं, जिनमें दो का संरक्षण हो चुका है। अब तीसरे और अंतिम चरण का संरक्षण कार्य चल रहा है। यहां मोती मस्जिद की ओर से पहले हिस्से में कोठरियों के संरक्षण के बाद मूल फर्श निकाला गया। यहां 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने शरण ली थी और मीना बाजार की कोठरियों को अस्पताल के कमरे बना दिए थे। यहां एंबुलेंस और लॉरीज की पार्किंग की जगह अब तक कायम है। लाखौरी ईंटों के मूल फर्श पर मलबा डालकर ऊंचा कर दिया गया था, ताकि मरीज आसानी से आ जा सकें। प्लेटफार्म से डेढ़ मीटर नीचे मुगलकाल का फर्श है। इसके अंदर के सेना के कब्जे वाले हिस्से में ही संरक्षण के दौरान तोप के गोले निकले थे। यहीं पर तोप भी मिली, जिसे दीवान ए आम परिसर में स्थापित किया गया है।

 



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