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आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) आधारित रिटर्न की जांच व्यापारियों के साथ-साथ विभाग के लिए मुसीबत बन गई है। इस हाइटेक सिस्टम ने उन व्यापारियों को भी नोटिस भेज दिया है, जिन पर कोई टैक्स बकाया नहीं है। एआई सिस्टम ने ईमानदार व्यापारियों को भी कर चोर बना देने को राज्य कर विभाग ने गंभीरता से लिया है। सभी जोनल अपर आयुक्तों को साफ निर्देश दिए गए हैैं कि इस तरह की नोटिसों पर कोई कार्रवाई न की जाए। ये भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि एक भी व्यापारी का उत्पीड़न किसी सूरत में नहीं होना चाहिए।

उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां एआई आधारित माॅड्यूल से व्यापारियों के जीएसटी रिटर्न की पड़ताल की जा रही है। पिछले साल सितंबर में ट्रिपलआईटी लखनऊ और राज्य कर विभाग की आइटी टीम ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम विकसित किया था। इस साल जनवरी से मार्च के बीच चुनिंदा फर्मों की इस सिस्टम के अंतर्गत जांच की गई, तब इसे लागू किया गया। ये सिस्टम पिछले रिटर्न से मिलान भी करता है। दोनों में अंतर पाए जाने पर संबंधित कारोबारी को स्वत: ही नोटिस चला जाता है।

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आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की यही जांच व्यापारियों के लिए आफत बन गई। इस संबंध में राज्य कर आयुक्त से व्यापारी, सीए और अधिवक्ता संगठनों ने शिकायत की थी कि एआई रिटर्न स्क्रूटनी सिस्टम उन व्यापारियों को भी थोक में नोटिस भेज रहा है, जहां विवादित टैक्स की राशि शून्य है या सौ-दो सौ रुपये जैसी बेहद कम है। बेवजह तमाम कारोबारियों से दस्तावेजों की मांग की जा रही है। इस तरह की नोटिसों से व्यापारी परेशान हो रहे हैं।

इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य कर आयुक्त मिनिस्ती एस. की तरफ से संयुक्त आयुक्त (मुख्यालय) हरिलाल प्रजापति ने सभी जोनल अपर आयुक्तों को निर्देश दिए हैं कि एआई द्वारा भेजी गई इस तरह की सभी नोटिसों पर किसी तरह की कार्रवाई न की जाए। साथ ही ये भी कहा गया है कि व्यापारियों से केवल ऐसे प्रपत्रों की मांग की जाए जो नोटिस में उठाई गई विसंगतियों से जुड़ी हों। बेवजह किसी व्यापारी से प्रपत्रों की मांग न की जाए।



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