कारीगरों को प्रशिक्षण के नाम पर की गई करीब 6 करोड़ की वित्तीय अनियमितता के मामले में शासन ने उद्यमिता विकास संस्थान के निदेशक पवन अग्रवाल को पद से हटा दिया है। जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, एक जिला एक उत्पाद योजना, पीएमईजीपी, ग्राम विकास तथा अन्य महत्वाकांक्षी योजनाओं के लिए प्रशिक्षित कर्मियों को मुफ्त प्रशिक्षण दिया जाता है।

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योजना के तहत प्रशिक्षण के नाम पर भुगतान किए गए बजट का उपयोग नियमों के विपरीत किया गया। नियम के अनुसार पंजीकृत संस्थाओं को भुगतान में 5-10 प्रतिशत तक का शुल्क रोका जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। शासन ने उद्यमिता विकास संस्थान के निदेशक पवन अग्रवाल को उनके पद से हटा दिया है। अग्रवाल संयुक्त आयुक्त उद्योग भी थे। उनके पास निदेशक उद्यमिता का चार्ज था, जो एमएसएमई विभाग के अंतर्गत आता है। पद से हटाए जाने के बाद एमएसएमई एवं अवस्थापना विभाग के सचिव प्रांजल यादव को अतिरिक्त चार्ज दिया गया है।

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गलत तरीके से किया गया भुगतान

पवन अग्रवाल पर आरोप है कि विभागीय नियमों का उल्लंघन करते हुए प्रशिक्षण कोष का भुगतान अनियमित तरीके से किया, जिससे सरकारी निधि का गबन हुआ। गौरतलब है कि पहले उद्यमिता विकास संस्थान के पूर्व निदेशक डीपी सिंह को भी विवादों में होने के कारण हटाया गया था। मार्च 2022 में डीपी सिंह की कार से डेढ़ करोड़ रुपये नकद बरामद हुए थे।



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