Banks could not get back its 9500 crore rupees.

प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : Social Media

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उत्तर प्रदेश में 19 हजार बैंक शाखाओं के 9,544 करोड़ रुपये केवल रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) के फेर में फंसे हैं। इसकी वसूली के लिए बैंक अब तक 8.58 लाख आरसी जारी कर चुके हैं लेकिन एक पर भी कार्रवाई नहीं हुई है। बैंकों का कहना है कि राजस्व अधिकारियों की समय से मदद न मिल पाने के कारण वसूली बाधित है।

दरअसल, लोन लेने के बाद वापस न करने वाले बैंकों के लिए मुसीबत बन गए हैं। प्रदेश में ऐसे करीब 8.58 लाख मामलों में वसूली प्रभावित है। राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) में बैंकों ने कहा है कि अधिकांश मामलों में डीएम व पुलिस का सहयोग नहीं मिल पा रहा है। इन मामलों को राज्य सरकार के पास भेजा गया है। इस पर संस्थागत वित्त, बीमा व वाह्य सहायतित परियोजना महानिदेशक ने सभी जिलाधिकारियों को जल्द निस्तारित करने के निर्देश दिए हैं।

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बैंक लोन लेकर भागने वालों की संपत्तियों पर भी कब्जा नहीं ले पा रहे हैं। सरफेसी एक्ट के तहत आने वाले ऐसे 7,317 मामले भी अटके पड़े हैं। बैंकों का कहना है कि दर्जनों जिलों के प्रशासन ने न तो वसूली की अनुमति दी है और न ही आज तक बंधक प्रापर्टी पर कब्जा दिलाया है। प्रदेश में बैंकर्स कमेटी के मुखिया बैंक ऑफ बड़ौदा से बैंकों ने कहा है कि डूबी रकम की वसूली के लिए तत्काल अनुकूल माहौल और प्रशासन के सहयोग की जरूरत है।

बैंकों ने एनपीए लोन की संपत्तियों को अटैच करने में हो रही देरी का पूरा ठीकरा जिलाधिकारियों पर फोड़ा है। एसएलबीसी में साफ कहा है कि बैंकों को भौतिक कब्जा दिलाने में काफी समय से जिलाधिकारियों द्वारा विलंब किया जा रहा है। बैकों ने यह भी कहा है कि संपत्तियों पर भौतिक कब्जा पुलिस की मदद के बिना नहीं मिल सकता है। इसके एवज में पुलिस भारी भरकम शुल्क मांग रही है। इस काम के लिए पुलिस सेवा का निर्धारित शुल्क तय करने की मांग सरकार से बैंकों ने की है।

यूपी में एनपीए 63 हजार करोड़ के पार

बैंक — कुल दिया लोन — कुल एनपीए

वाणिज्यिक बैंक — 7,02,759 करोड़ रुपये — 5,4524 करोड़ रुपये

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक — 64,339 करोड़ रुपये — 6,384 करोड़ रुपये

कोऑपरेटिव बैंक — 14,002 करोड़ रुपये — 1,845 करोड़ रुपये

स्माल फाइनेंस बैंक — 7,668 करोड़ रुपये —  156 करोड़ रुपये (आंकड़े करोड़ रुपये में)



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