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गृह विभाग ने मुकदमों की विवेचना, उनके समयबद्ध निस्तारण और पर्यवेक्षण को लेकर कई अहम दिशा-निर्देश जारी किए है। प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि पोस्टमार्टम के दौरान डीएनए और फिंगरप्रिंट का सैंपल अनिवार्य रूप से लिया जाए। मृतक की चोटों को उजागर करने वाले रंगीन फोटोग्राफ भी लिए जाएं और उसे केस डायरी का हिस्सा बनाया जाए ताकि आरोपियों की दोषसिद्धि सुनिश्चित हो सके। पोस्टमार्टम रिपोर्ट को हाथ से लिखने के बजाय टाइप करके देने के भी निर्देश दिए हैं।

15 बिंदुओं वाले निर्देशों में कहा गया कि बंदूक से गोली लगने के प्रकरणों में मृतक के पूरे शरीर के बजाय उस अंग का एक्स-रे कराएं, जहां गोली लगी है। विवेचना के दौरान गवाहों का बयान ऑडियो, वीडियो व अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अंकित किया जाए। इसे भी केस डायरी में शामिल किया जाए।

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आरोप पत्र या अंतिम रिपोर्ट दाखिल करते समय इसे भी न्यायालय भेजा जाए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक लैंगिक एवं बालकों के विरुद्ध होने वाले अपराधों में पीड़ित की पहचान सार्वजनिक न करें। जिलों में आपराधिक मामलों के गुणवत्तापूर्वक एवं समयबद्ध विवेचना सुनिश्चित कराएं। हर जिले में संयुक्त निदेशक अभियोजन की अध्यक्षता में विधि प्रकोष्ठ का गठन कर विवेचकों और अभियोजकों को प्रशिक्षित भी कराएं।



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