Development authority will not be allowed to make houses without survey.

प्रतीकात्मक तस्वीर

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विकास प्राधिकरण अब मनमाने तरीके से मकान नहीं बना पाएंगे। पहले यह सर्वे कराना होगा कि मकान की मांग है भी या नहीं। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर विकास प्राधिकरणों को कार्ययोजना बनाकर शासन को उपलब्ध कराना होगा।

कार्ययोजना में लोगों की आवासीय जरूरत के मुताबिक मकान की मांग और बनाए जाने वाले मकानों की संख्या का स्पष्ट उल्लेख अनिवार्य रूप से करना होगा। इसके लिए आवास विभाग गाइडलाइन तैयार कर रहा है। सभी विकास प्राधिकरणों से भी सुझाव मांगे गए हैं।

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अक्सर विकास प्राधिकरण मनमाने तरीके से आवासीय योजनाएं लांच कर देते हैं और बड़ी संख्या में मकान बना देते हैं, लेकिन लागत ज्यादा होने से उनकी कीमत काफी ऊंची हो जाती है और बिक नहीं पाते हैं। ऐसे में ज्यादातर मकान खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं और प्राधिकरणों की आय भी प्रभावित होती है।

इसके मद्देनजर आवास विभाग ने तय किया है कि अब उतने ही मकान बनाए जाएं, जितने की जरूरत हो। यह भी कोशिश हो कि मकान ज्यादा महंगे न हों। इस संबंध में आवास विकास विभाग की ओर से तैयार हो रही गाइडलाइन को सीएम के समक्ष रखा जाएगा। सीएम की मंजूरी के बाद इसे सभी विकास प्राधिकरणों और आवास विकास परिषद में लागू किया जाएगा।



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