
प्रजेंटेशन देतीं मंडलायुक्त।
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विस्तार
शासन लखनऊ और कानपुर को मेगा सिटी के रूप में विकसित करने पर काम करेगा। राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) के विकास में इन दोनों शहरों के बीच के क्षेत्र को विशेष आर्थिक विकास क्षेत्र की संभावनाओं वाला मानते हुए ऐसा किया जाएगा। इससे इन दोनों शहरों के बीच व आस-पास के इलाकों में नए औद्योगिक क्षेत्र बनेंगे। ऐेसे में रोजगार व शिक्षा के अवसर के साथ सुविधाएं भी बढ़ेंगी। उधर, लखनऊ और कानपुर पर दबाव भी कम होगा। लखनऊ-कानपुर कॉरिडोर को विकास का केंद्र बनाने के लिए विकास कार्य कराए जाने हैं। प्रदेश सरकार के मुख्य नगर एवं ग्राम्य नियोजन (सीटीसीपी) विभाग ने एससीआर के गठन और विकास की योजना पर काम करने के लिए कंसल्टेंट के चयन की तैयारी शुरू कर दी है।
रीजनल प्लानिंग कॉन्क्लेव 2023 में एससीआर को लेकर मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब ने जानकारी साझा की। प्रजेंटेशन में उन्होंने बताया कि इससे लखनऊ को ग्लोबल सिटी के रूप में पहचान दिलाई जाएगी। इसका फायदा दुनिया के लिए देश के विकास का गेटवे बनने के रूप में मिलेगा। दिल्ली पर दबाव कम करने के लिए लखनऊ काउंटर मैग्नेट सिटी का काम करेगा। उधर, एससीआर बनने से लखनऊ पर भी आबादी की जरूरतें पूरी करने का दबाव आसपास के शहरों के विकास के साथ बंट जाएगा। एससीआर में शामिल दूसरे जिलों को भी आर्थिक व शहरी अवस्थापना सुविधाओं के रूप में इसका लाभ मिलेगा। हरदोई, रायबरेली, सीतापुर के विकास पर प्राथमिकता रहेगी।
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मंडलायुक्त ने बताया कि आउटर रिंगरोड, बस डिपो का नेटवर्क, मेट्रो सेवा, लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस वे, अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से मेगा सिटी के विकास की बेहतर संभावनाएं हैं। गोमती नदी के किनारे बन रहे 28 किमी. लंबे ग्रीन कॉरिडोर को शहीद पथ और आउटर रिंगरोड से जोड़ा जाना है। इसके अलावा रोड नेटवर्क बेहतर करने के लिए मिसिंग लिंक प्रोजेक्ट, रैपिड रेल ट्रांसपोर्ट, मेट्रो सेवा का विस्तार, मेट्रो लाइन के 500 मीटर के दायरे में टीओडी क्षेत्र जैसी योजनाएं भी भविष्य के लिए प्रस्तावित हैं। नदी के किनारे अब हाई लेवल कमेटी की तरफ से ऊंची इमारतें बनाने के लिए फ्लोर एरिया ऐशियो आठ आठ करने का प्रस्ताव आया है। इस पर भी विचार एससीआर और मेगा सिटी के बनने के दौरान किया जाएगा।
आठ जिलों को शामिल कर बनेगा एससीआर
मंडलायुक्त ने बताया कि एससीआर में लखनऊ सहित आठ जिलों को शामिल किया जाना प्रस्तावित है। सात अन्य जिले कानपुर, कानपुर देहात, उन्नाव, रायबरेली, बाराबंकी, सीतापुर, हरदोई हैं। एससीआर की कुल आबादी 2.9 करोड़ संभावित है। कुल एरिया 34 हजार वर्गमीटर होगा। लखनऊ और कानपुर इसके प्राथमिक नोड होंगे। दोनों ही शहर में बाकी इलाकों की तुलना में आबादी का घनत्व अधिक है। इसके अलावा इन दोनों शहरों की कुल आबादी 72 लाख है, जोकि पूरे प्रदेश की आबादी का 12.5 प्रतिशत है। लखनऊ और कानपुर को मेगा सिटी के रूप में विकसित होने की संभावना के पीछे इनका राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलमार्ग के अलावा डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से भी जुड़ा होना है।
यह मिलेगा फायदा
– नए औद्योगिक क्षेत्र बनेंगे।
– स्थानीय लोगों की जिंदगी बेहतर होगी।
– पब्लिक ट्रांसपोर्ट की गति तेज होगी।
– शिक्षा के अलावा रोजगार के अवसर अधिक मिलेंगे।
– शहरी अवस्थापना सुविधाओं का नए इलाकों का विकास होगा।
– ऐतिहासिक विरासतों का संरक्षण होगा।
– अधिकतम जल स्त्रोत, झीलों का संरक्षण होगा।
इनसे भी मिलेगा विकास में सहयोग
वेलनेस सिटी, सुल्तानपुर रोड — 1337 एकड़
एजुकेशन सिटी, मोहान रोड — 785 एकड़
आईटी सिटी, किसान पथ — 1582 एकड़
अनियोजित विकास बनेगा सबसे बड़ी बाधा
मेगा सिटी और एससीआर प्रोजेक्ट में भले ही भविष्य की संभावनाएं देखी जा रही हों, लेकिन इसके आड़े अनियोजित विकास जरूर आएगा। जिन इलाकों जैसे आउटर रिंगरोड, लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस वे, राष्ट्रीय राजमार्ग को संभावना के रूप में देखा जा रहा है, वहां अनियोजित विकास बहुत तेजी से हुआ है। करीब 550 अनियोजित कालोनियां तो अकेले लखनऊ में हैं। जानकारों की मानें तो पूरे एससीआर रीजन में यह आंकड़ा 1000 से अधिक ही होगा। ऐसे में भविष्य के प्रोजेक्टों के लिए जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित करना आसान काम नहीं होगा। इसके अलावा महायोजना बनाने पर तो काम शहरों में हुआ, लेकिन जोनल प्लान नहीं बने। इससे मास्टर प्लान रोड, जोनल रोड के नेटवर्क भी नए विकसित इलाकों में नहीं बने। इससे भी यहां अवस्थापना सुविधाएं देना बड़ी चुनौती होगा।