
अखिलेश यादव और मायावती।
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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तीन दिन कर्नाटक में रहेंगे। वह शुक्रवार सुबह 10.15 बजे लखनऊ से रवाना हो जाएंगे और सात को लौटेंगे। कर्नाटक में पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन में जनसभा करेंगे। निकाय चुनाव के बीच अखिलेश यादव की कर्नाटक यात्रा को लोकसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर अहम माना जा रहा है। सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाने की रणनीति का भी अहम हिस्सा है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हैं। दोबारा राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाने का संकल्प लिया है। इसी के तहत वह विभिन्न राज्यों का निरंतर दौरा कर रहे हैं। सपा ने गुजरात में एक विधानसभा सीट जीतने के बाद अब कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में 14 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। यहां की पांच सीटों पर पार्टी के नेता जमकर पसीना बहा रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि ये सीटें उनके खाते में आ सकती हैं। इनमें अफजलपुर, कलाबुर्गी, सोरबा, चित्रदुर्ग पर मजबूत स्थिति में होने का दावा किया जा रहा है। इन सीटों पर वह जनसभा को संबोधित करेंगे। वह दो दिन बेंगलुरु में रुकेंगे। इस दौरान पार्टी नेताओं के साथ ही अन्य दलों के नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। मालूम हो कि कर्नाटक में सपा ने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 20 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन एक भी उम्मीदवार जीत नहीं पाया था।
उधर, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अब निकाय चुनाव में प्रचार नहीं करेंगे। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहले चरण में गोरखपुर से चुनाव प्रचार की शुरुआत की थी इसके बाद उन्होंने मेट्रो से लखनऊ में मतदाताओं से बातचीत की। उन्होंने सहारनपुर में रोड शो किया तो कन्नौज में भी जनसभा को संबोधित किया है। निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लगातार जनसभाएं कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित हर नेता कि कहीं न कहीं जनसभा लगी हुई है इसके बाद भी समाजवादी पार्टी निकाय चुनाव में कोई गंभीरता नहीं दिखा रही है।
कर्नाटक में मायावती की जनसभा आज
बसपा सुप्रीमो मायावती कर्नाटक में हो रहे विधानसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन में शुक्रवार को रैली को संबोधित करेंगी। बंगलूरू के पैलेस ग्राउंड में रैली के बाद वह पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगी। बसपा पंजाब को छोड़कर देश में कहीं भी किसी भी विरोधी पार्टी से गठबंधन न करने की नीति के तहत कर्नाटक में भी अकेले ही चुनाव लड़ रही है।