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बड़े शहरों की तरह अब छोटे शहरों में भी आवासीय योजनाएं शुरू करने की तैयारी है । इसके लिए सरकार यूपी में लोगों की आवासीय जरूरतों को पूरा करने को गुजरात मॉडल को लागू करने पर विचार कर रही है। इस मॉडल के मुताबिक किसानों की साझेदारी में आवासीय और व्यवसायिक योजनाएं लाई जाएंगी। आवास विभाग इसके लिए नई नीति का ड्राफ्ट तैयार करा रहा है। प्रस्तावित नीति के प्रारूप को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा ।
बता दें कि केंद्र सरकार ने अमृत योजना वाले शहरों के सुनियोजित विकास के लिए टाउन एरिया और लोकल एरिया प्लान बनाते हुए विकास करने का निर्देश राज्यों को दिया है। गुजरात ने इस दिशा में बेहतर काम किया है। पिछले दिनों यूपी के अधिकारियों ने गुजरात जाकर वहां के मॉडल को देखा था । गुजरात में जमीन की व्यवस्था करने के लिए सरकार द्वारा ‘द गुजरात टाउन प्लानिंग एंड अर्बन डवपमेंट एक्ट’ बनाया गया है। इस एक्ट के तहत ही किसानों की साझेदारी में आवासीय योजनाएं संचालित की जा रही है।
वहां से लौटने के बाद अधिकारियों के सुझाव के आधार पर अब आवास विभाग गुजरात के मॉडल को यूपी में लागू करने के लिए एक नीति तैयार कर रहा है। पिछले दिनों अपर मुख्य सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने गुजरात से लौटे अधिकारियों के साथ बैठक करके वहां के मॉडल पर चर्चा भी की थी। साथ ही उसी मॉडल की तर्ज पर यूपी में भी आवासीय योजनाएं शुरू करने को लेकर नीति तैयार करने पर भी विचार-विमर्श किया गया था। इसके साथ ही टाउन और लोकल एरिया प्लान बनाने पर भी मंथन किया गया।
पहले चरण में वाराणसी के लिए एक-एक प्लान बनाया जा रहा है। टाउन एरिया प्लान में नए क्षेत्रों को लिया जाता है जहां सुनियोजित विकास कराने की योजना तैयार कराते हुए काम कराया जाता है। जबकि लोकल एरिया में विकसित क्षेत्र को लिया जाता है। इसमें सर्वे कराते हुए यह देखा जाता है कि कैसे विकसित क्षेत्रों का और बेहतर विकास हो सकता है। इसी कड़ी में आवास विभाग ने नई नीति को तैयार करने का काम शुरू कर दिया है ।
गुजरात में लागू है ये मॉडल
गुजरात में सरकार किसानों की साझेदारी यानी पाटर्नशिप में योजनाएं लाती है। इसमें किसानों से ली गई जमीन के बदले कोई मुआवजा या कीमत नहीं दी जाती है। बल्कि संबंधित योजनाओं में किसान हिस्सेदार बनाया जाता है । इससे किसान भी जमीन देने को लेकर आनाकानी नहीं करता है। किसानों से ली गई जमीन का विकास प्राधिकरणों द्वारा कराया जाता है।