
यूपी विधानसभा में अखिलेश यादव
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विधानसभा में बृहस्पतिवार को अनुसूचित (एससी) और अनुसूचित जन जाति (एसटी) के छात्रों को स्कूलों में जीरो फीस पर दाखिला देने का मुद्दा उठाया। उनका कहना था कि शुल्क प्रतिपूर्ति की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करके जीरो फीस पर दाखिला देने की व्यवस्था को लागू किया जाए। इस पर समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने कहा है कि प्रदेश में शुल्क प्रतिपूर्ति में गड़बड़ियों को देखते हुए इसे और पारदर्शी व्यवस्था बनाई जा रही है। वैसे भी जीरो फीस पर दाखिला की व्यवस्था को सपा सरकार में ही समाप्त कर दिया गया था। इसपर सपा सदस्य भड़क गए और सदन से बहिर्गमन कर गए।
सपा सदस्य अवधेश प्रसाद ने नियम-56 के तहत यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रदेश में एससी और एसटी के बहुत से ऐसे छात्र हैं जो गरीबी रेखा से नीचे हैं। इसलिए वह फीस जमा करने दाखिला लेने में असमर्थ हैं। इस वजह से ऐसे तमाम छात्र शिक्षा से वंचित रह जा रहे हैं। इसलिए इस वर्ग के छात्रों के लिए जीरो फीस (बिना शुल्क के प्रवेश) पर दाखिला देने की व्यवस्था को लागू किया जाए । सपा के लालजी वर्मा ने कहा कि प्रदेश में 23 प्रतिशत से अधिक एससी व एसटी की आबादी है। इसी अनुपात में इस वर्ग के छात्रों की संख्या है। उन्होंने कहा कि करीब 5 करोड़ की आबादी है जो गरीब है। इसलिए उनके बच्चों को यह सुविधा मिलनी चाहिए, ताकि उन्हे शिक्षा से जोड़ा जा सके।
सपा की डॉ. रागिनी सोनकर ने भी अवधेश प्रसाद की इस मांग का समर्थन करते हुए कहा कि जीरो फीस पर दाखिला देने की व्यवस्था समाप्त कर दिए जाने से एससी व एसटी के तमाम छात्र ड्राप आउट हो गए हैं। सपा के तीनों सदस्यों ने सदन में अन्य मुद्दों को स्थगित करके इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग किया। इस पर समाज कल्याण मंत्री ने उनकी मांग पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उन्हें जहां तक मालूम है कि जीरो फीस पर दाखिला देने की व्यवस्था सपा सरकार ने समाप्त किया था। मौजूदा सरकार ने शुल्क प्रतिपूर्ति में हो रही गड़बड़ी को रोकने के लिए पारदर्शी व्यवस्था लागू किया है। उन्होंने सदन में बताया कि सरकार अगले सत्र से केन्द्र सरकार की फ्रीशिप कार्ड योजना प्रदेश में लागू करने का फैसला किया है। इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। मंत्री के जवाब को दलित विरोधी बताते हुए सपा सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए।