UP News: Hospital's emergency will work on the lines of trauma center

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

बलिया में कई लोगों की मौत के बाद जिला अस्पताल की इमरजेंसी व्यवस्था को ट्रामा सेंटर की तर्ज पर तैयार किया गया है। निरीक्षण करने पहुंची प्रदेश मुख्यालय की टीम ने विभिन्न पहलुओं पर जांच कर प्रारंभिक रिपोर्ट शासन को भेज दी है। इसमें मरने की वजह लू नहीं बताई है। विस्तृत रिपोर्ट अगले सप्ताह दी जाएगी।

निदेशक उपचार डॉ. केएन तिवारी और निदेशक संचारी डॉ. एके सिंह के नेतृत्व में बलिया पहुंची टीम ने सभी पहलुओं पर जांच की है। टीम ने बीमार लोगों के सैंपल केजीएमयू भेजे। अब तक की जांच में मरीजों में मामूली संक्रमण होना बताया गया है। पानी के सैंपल की जांच रिपोर्ट आने के बाद इस पर विस्तार से रिपोर्ट तैयार की जाएगी। बलिया, देवरिया सहित आसपास के जिलों में जून माह में प्रतिदिन होने वाली मौत का डाटा भी मुख्यालय मंगा लिया गया है। अब हर दिन होने वाली मौत के बारे में भी निगरानी की जा रही है।

सूत्रों का कहना है कि शासन को भेजी गई प्रथम दृष्टया रिपोर्ट में मौत की वजह स्पष्ट नहीं हुई है, लेकिन टीम ने लू से मौत होने की पुष्टि भी नहीं की है। टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि संबंधित क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के मुताबिक रेफरल सेंटर पहुंचने में काफी वक्त लगता है। संबंधित इलाके के मरीज गंभीर होने पर बीएचयू ट्रामा सेंटर अथवा आजमगढ़ मेडिकल कॉलेज भेजे जाते हैं। इस वजह से कई मरीजों को देर से उपचार मिला है। ऐसे में यहां संसाधनों का विकास करने पर जोर दिया गया है।

तीन हिस्सों में बांट गई इमरजेंसी

निरीक्षण करने पहुंची टीम ने बलिया सहित आसपास के जिलों की इमरजेंसी को तीन हिस्से में बांट उपचार करने का निर्देश दिया है। सर्वाधिक गंभीर मरीजों को रेड जोन और सुधार वाले मरीजों को यलो जोन में रखा जाएगा। जो मरीज डिस्चार्ज होने की स्थिति में होंगे अथवा जिन की स्थिति गंभीर नहीं होगी उन्हें ग्रीन जोन में रखकर निगरानी की जाएगी। अस्पताल की इमरजेंसी में दो एसी और वार्ड में पांच कूलर लगवा दिए गए हैं। इसके अलावा अन्य व्यवस्थाएं भी दुरुस्त कराई गई हैं।

व्यवस्था में खामी पर हो सकती है कार्रवाई

सूत्रों का कहना है कि निरीक्षण करने पहुंची टीम को इमरजेंसी और वार्ड में इलाज की माकूल व्यवस्था नहीं मिली है। जबकि प्रमुख सचिव की ओर से लू से निपटने के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए गए थे। ऐसे में निरीक्षण करके लौटी टीम इस बात की जिम्मेदारी तय की गई है कि संबंधित व्यवस्थाओं के लिए कौन-कौन से अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार हैं।



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