
सांकेतिक तस्वीर
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ऊर्जा विभाग की राज्य सलाहकार समिति की सोमवार को हुई बैठक में बिजली दर बढ़ाने के मामले को लेकर जमकर बवाल हुआ। जबरदस्त विरोध के बीच नियामक आयोग ने निगम अफसरों की हर दलील को खारिज कर दिया। ऐसे में अब बिजली दर बढ़ने की संभावना खत्म हो गई है। इतना जरूर है कि दर घटाने का मामला आयोग के पाले में है। सभी पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने कहा कि जल्द ही वह मामले में आदेश जारी करेगा।
नियामक आयोग सभागार में सोमवार को आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह की अध्यक्षता व सदस्य बीके श्रीवास्तव व संजय कुमार सिंह की मौजूदगी में राज्य सलाहकार समिति की बैठक शुरू हुई। बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का जमा 25133 करोड़ रुपये को देखते हुए बिजली दर बढ़ाने के बजाय घटाने पर जोर दिया गया। पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज ने आरडीएसएस स्कीम का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि जो वितरण हानियां भारत सरकार द्वारा अनुमानित हैं, उसे आयोग लागू करे। उसी आधार पर टैरिफ निर्धारण करें।
प्रबंध निदेशक पंकज कुमार ने कहा की मेरिट आफ आर्डर (एमओडी) के मामले में कुल बिजली खरीद को देखा जाना चाहिए। इसका उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विरोध किया। कहा कि आरडीएसएस में अनुमानित वितरण हानियां नहीं ली जा सकती। इस पर विद्युत नियामक आयोग अपने बिजनेस प्लान में पहले ही निर्णय दे चुका है।
बिजनेस प्लान में अनुमानित वितरण हानियां वर्ष 2023-24 के लिए 10.31 प्रतिशत तय की गई हैं, जबकि पॉवर कारपोरेशन 14.90 प्रतिशत वितरण हानियां लागू करने की मांग कर रहा है। इससे उपभोक्ताओं पर भार पड़ेगा। बढ़ोतरी का प्रस्ताव असंवैधानिक है। विनियामक परिसंपति के मामले में तीन वर्ष में अदायगी का आदेश है। ऐसे में उपभोक्ताओं की जमा रकम को तीन वर्ष में लौटाया जाए। इसके आधार पर पांच से सात प्रतिशत की कमी की जानी चाहिए।
आयोग अध्यक्ष ने कहा कि बिजली कंपनियों के विनियामक परिसंपति का मामला पहले ही खारिज किया जा चुका है। इसलिए उसे फिर से खारिज किया जाता है। बैठक में आए सभी बिंदुओं को संकलित कर जल्द ही फैसला सुनाया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि बिजली कंपनियों के बढ़ोतरी प्रस्ताव को केवल जनसुनवाई में दिखाया गया है। उस पर निर्णय नहीं हुआ है। बैठक में ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता सहित विभिन्न विभागों के उच्च अधिकारी मौजूद रहे।
छाया रहा कर्मचारियों के घर मीटर लगाने का मामला
बैठक में एक लाख से ज्यादा विभागीय कर्मचारियों के घरों पर मीटर लगाने का मुद्दा भी छाया रहा। पावर कारपोरेशन हर हाल में मीटर लगाने की तैयारी होने की बात कह रहा है। इस पर तय हुआ कि बिजली कंपनियां एक निर्धारित समय बताएं कि वे कब तक सभी कर्मचारियों के यहां मीटर लगा पाएंगी। इसका आकलन कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
बैठक में समिति के सदस्य प्रोफेसर भरत राज सिंह ने सोलर उपभोक्ताओं की नेट बिलिंग को भी सुचारु रूप से लागू करने की मांग उठाई। ललितपुर पावर जेनरेशन कंपनी से अमित मित्तल ने कहा कि अलग-अलग बिजली कंपनियों की अलग-अलग बिजली दर कई प्रदेशों में लागू है। इस पर भी विचार किया जाए।
किसानों का मुद्दा भी उठा
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने किसानों का मुद्दा भी उठाया। कहा कि एक अप्रैल 2023 से बिजली फ्री करने की घोषणा की गई है, लेकिन अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। इस पर आयोग अध्यक्ष ने कहा कि यह मामला सरकार और आयोग के बीच का है। जो भी सरकार ने सब्सिडी का एलान किया है, उसके आधार पर टैरिफ में निर्णय लिया जाएगा।
बिजली गड़बड़ी का मामला भी उठा
बैठक में बिजली बिलिंग की गड़बड़ी का मामला भी उठा। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि जिन बड़े विद्युत उपभोक्ताओं की बिलिंग व्यवसायिक में होनी चाहिए, उनकी इंडस्ट्रियल में की जा रही है। क्योंकि इंडस्ट्रियल में लगभग एक रुपया प्रति यूनिट की कम टैरिफ है। इससे करपोरेशन को हर साल करोड़ों रुपये का चूना लग रहा है।
दो फीसदी छूट की मांग
उपभोक्ता परिषद ने मांग की कि समय से बिल जमा करने वाले विद्युत उपभोक्ताओं को मिल रहे एक फीसदी की छूट को बढ़ाकर दो फीसदी किया जाए। इसी तरह नोएडा पावर कंपनी पर उपभोक्ताओं का करीब 2000 करोड़ निकल रहा है। वहां भी पांच साल तक 10 फीसदी बिजली दर में छूट दी जाए। इस पर विभागीय अफसरों ने चुप्पी साध ली।