UP News: Doctors of medical colleges and government hospitals will get exemption for private practice

सांकेतिक तस्वीर।
– फोटो : सोशल मीडिया

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प्रदेश में सरकारी मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों में कार्यरत संकाय सदस्यों एवं डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस की छूट दी जाएगी। इसके लिए चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग मसौदा तैयार कर रहा है। इसे जल्द ही कैबिनेट में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद चरणवद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।

प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत संकाय सदस्य (चिकित्सा शिक्षक) को प्राइवेट प्रैक्टिस करने पर पाबंदी लगी हुई है। मेडिकल कॉलेजों में कांट्रैक्ट पर कार्य करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर को 90 से 1.10 लाख रुपये मानदेय दिया जाता है। जबकि नियमित नियुक्ति वाले असिस्टेंट प्रोफेसर को करीब 1.30 लाख रुपये वेतन मिलता है। 

इसके एवज में कांट्रैक्ट वाले असिस्टेंट प्रोफेसर को प्राइवेट प्रैक्टिस की छूट मिली हुई है। अब अन्य संकाय सदस्यों को भी यह छूट देने की तैयारी है। इसके लिए विभाग की ओर से प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक मेडिकल कॉलेजों में संकाय सदस्यों को प्राइवेट प्रैक्टिस की छूट देने की शुरुआत लखनऊ के कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान से करने की तैयारी है।

यहां शाम को सशुल्क ओपीडी शुरू की जाएगी। इस ओपीडी में संस्थान के संकाय सदस्य मरीज देखेंगे। इससे होने वाली आमदनी यहां के संकाय सदस्यों को दी जाएगी। इसकी पूरी कार्ययोजना पर 23 अगस्त को मुहर लगने की उम्मीद है। इसके बाद अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी यह व्यवस्था लागू की जाएगी।

अस्पतालों में भी चलेगी सांध्य कालीन ओपीडी

प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के तहत सरकारी अस्पतालों के लिए स्वीकृत पद की अपेक्षा करीब छह हजार डॉक्टर के पद खाली है। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि सरकारी सेवा में डॉक्टरों के न आने की एक बड़ी वजह प्राइवेट प्रैक्टिस भी है। इसकी छूट न होने की वजह से डॉक्टर सरकारी सेवा में नहीं आते हैं। ऐसे में सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों को भी प्राइवेट प्रैक्टिस की छूट देने की तैयारी है। 

विभागीय सूत्रों का कहना है कि इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इसके दो मॉडल तैयार हो रहे हैं। एक मॉडल प्राइवेट प्रैक्टिस का होगा। इसमें जो डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करना चाहेंगे, उन्हें नॉन प्रैक्टिस एलाउंस के रूप में मिलने वाला करीब 20 हजार रुपया प्रति माह नहीं दिया जाएगा। वे शाम के वक्त अस्पताल परिसर में ही प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकेंगे। इससे होने वाली आय डॉक्टर को दी जाएगी। दूसरे मॉडल में वे डॉक्टर होंगे, जो एलाउंस लेंगे और प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करेंगे। यह व्यवस्था डॉक्टरों की सुविधा के मद्देनजर तैयार की जा रही है।



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