
सांकेतिक तस्वीर
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प्रदेश में भू अभिलेख रिकार्ड में रियल टाइम खतौनी दर्ज करने और स्वामित्व योजना के तहत घरौनी वितरण में लेखपालों की कमी आड़े आ रही है। लेखपालों के 41 फीसदी से अधिक पद खाली होने के कारण दोनों महत्वपूर्ण कार्य समय पर पूरे नहीं हो सके हैं।
प्रदेश में भू अभिलेख रिकार्ड में खतौनी दर्ज करने की पुरानी व्यवस्था की जगह अब रियल टाइम खतौनी की व्यवस्था की जा रही है। इसके तहत कृषि भूमि खरीदने पर उसे राजस्व रिकार्ड में दर्ज कराते समय ही खरीददारों का नाम मूल खातेदार के कॉलम में अंकित हो जाएगा। राजस्व परिषद की ओर से इस कार्य को पूरा करने के लिए अप्रैल तक का समय दिया गया था। लेकिन लेखपालों की कमी के चलते यह काम अभी पूरा नहीं हो सका है।
परिषद के अधिकारी का कहना है कि यह काम अब सितंबर- अक्तूबर तक पूरा हो सकेगा।वहीं स्वामित्व योजन के तहत गांवों में सरकारी भूमि पर बसे लोगों को मकान के पट्टे के रूप में घरौनी देने का कार्य भी किया जा रहा है। प्रदेश के 90 हजार गांवों में से अब तक 36 हजार गांवों में ही यह काम पूरा हो सका है। उल्लेखनीय है कि घरौनी वितरण का कार्य केंद्र सरकार और योगी सरकार की प्राथमिकता का विषय है।
परिषद के अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में लेखपालों के 30,837 पद स्वीकृत हैं। इसमें से 18,140 पदों पर लेखपाल कार्यरत हैं। वहीं 12,697 पद रिक्त चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में लेखपालों के 8085 पदों पर भर्ती की कवायद चल रही है। परिषद की ओर से भी आयोग को पत्र लिखकर लेखपालों की भर्ती जल्द कराने का आग्रह किया गया है। लेखपालों की कमी के चलते यह दोनों प्रमुख कार्य पूरे नहीं हो सके हैं।
लेखपाल संघ के महामंत्री विनोद कुमार कश्यप का कहना है कि लेखपालों की कमी के कारण दोनों कार्य प्रभावित हो रहे हैं। उनका कहना है कि हर तहसील में दो से तीन लेखपालों को तहसील में लिपिकीय कार्य में तैनात किया है। केवल 40 फीसदी लेखपाल ही फील्ड में काम कर रहे हैं।
