आगरा के खेरागढ़ के उटंगन नदी में मां दुर्गा की मूर्ति को विसर्जित करने के लिए कुसियापुर गांव के युवक विसर्जन के लिए बनाए गए कुंड से एक किमी पहले गांव के मरघट पर पहुंच गए थे। हादसे के बाद किनारे पर ही मां दुर्गा की मूर्ति रखी रह गई, जिसे तीन दिन बाद प्रशासन ने नदी में विसर्जित कराया।
खेरागढ़ का गांव कुसियापुर शोक में डूबा है। गांव में कदम रखते ही मरघट सा सन्नाटा पसरा हुआ है। उटंगन की ओर जाती सड़क और खेतों पर लोगों का हुजूम है, लेकिन सब शांत और दुख में डूबे हुए हैं। दरअसल, गांव के 12 युवक उटंगन में डूब गए।
2 of 12
विलाप करते परिजन
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
यह सभी दशहरे पर दुर्गा मूर्ति का विसर्जन करने के लिए गए थे। ज्यादातर युवकों ने अपने घर पर नदी के पास जाने की सूचना नहीं दी थी। मूर्ति विसर्जन के लिए खेरागढ़ नगर पंचायत की ओर से जो जगह तय की गई, उसकी जगह गांव के युवक मरघट की ओर जा पहुंचे। गांव के लोग इस बात पर हैरत में हैं कि आखिर युवक कुंड की जगह एक किमी दूर मरघट पर कैसे पहुंच गए, जबकि ऐसी जगह प्रतिमा विसर्जन का औचित्य ही नहीं है।
3 of 12
विलाप करते परिजन
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
नदी के किनारे मूर्ति रखकर नदी में नहाने चले गए 13 युवक
खेरागढ़ नगर पंचायत चेयरमैन सुधीर गर्ग ने बताया कि मूर्ति विसर्जन के पहले ही हादसा हो गया। मरघट पर ही नदी के किनारे मूर्ति रखकर 13 युवक नदी में नहाने चले गए, जिनमें से 12 पानी में डूब गए। केवल एक ही बच सका।
4 of 12
नदी में डूबे लोगों की तलाश जारी
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
हादसे में बचे विष्णु ने सोमवार को दुर्घटनास्थल पहुंचकर पूरा ब्योरा दिया। तब प्रशासन को उनके नदी में जाने, गिरने और डूबने की घटना की बारीकियां पता चलीं। नदी के किनारे मरघट पर रखी मूर्ति का प्रशासन ने स्कूबा डाइवर्स की मदद से विसर्जन कराया।
5 of 12
नदी में डूबे लोगों की तलाश जारी
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
बचाव अभियान में नगर निगम और वबाग ने भेजी मशीनें
उटंगन नदी में डूबे 12 युवकों की तलाश के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में केवल एनडीआरएफ और सेना के जवान ही नहीं जुटे हैं। सीमाओं के बंधन तोड़कर नगर निगम, मेट्रो कॉरपोरेशन और वीए टेक वबाग की टीमें और उनकी मशीनरी भी लगाई गई हैं।