UP News: Nazul Property Bill passed amid uproar and demonstration

यूपी विधानसभा।
– फोटो : अमर उजाला

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विधानसभा में बुधवार को सपा- कांग्रेस विधायकों के हंगामे और प्रदर्शन के बीच नजूल संपत्ति विधेयक (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग)2024 पारित हो गया। हालांकि संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने विधायकों के विरोध को देखते हुए विधेयक में कुछ बदलाव का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि नजूल भूमि का पट्टा पाने वाले जिन लोगों का 2025 में समय सीमा समाप्त हो रही है, उनकी लीज का नवीनीकरण किया जाएगा। जिन्होंने फ्री होल्ड के लिए आवेदन किया है और 30 का पट्टा है, उन्हें भी नवीनीकरण का विकल्प दिया जाएगा।

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प्रदेश सरकार की नजूल संपति विधेयक के तहत नजूल भूमि को संरक्षित कर इसका सार्वजनिक उपयोग करने के लिए उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक 2024 रखा गया। इस पर विधायकों ने प्रवर समिति को सुपुर्द करने का प्रस्ताव दिया। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने भरोसा दिया कि गरीबों के पुनर्वास की व्यवस्था की गई है। जिन लोगों ने लीज का पैसा जमा किया है, उनका नवीनीकरण किया जाएगा। इस बीच सपा सदस्य बेल में आकर नारेबाजी करने लगे। नारेबाजी के बीच यह प्रस्ताव पास हो गया। इस अधिनियम के अंतर्गत नजूल भूमि का आरक्षण एवं उसका उपयोग केवल सार्वजनिक इकाइयों के लिए ही किया जाएगा।

नजूल विधेयक पर साथ-साथ नजर आया सत्ता और विपक्ष

इस विधेयक पर चर्चा के दौरान सपा के आरके वर्मा, कमाल अख्तर ने इसे प्रवर समिति को सौंपने की बात कही। भाजपा विधायक सिद्धार्थनाथ सिंह ने सुझाव दिया कि जो लोग पीढ़ी दर पीढ़ी प्रमाणिक हैं, उनका नवीनीकरण किया जाए। अनाधिकृत रहने वालों के लिए पहले पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। भाजपा विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी ने प्रयागराज की नजूल संपत्तियों का जिक्र करते हुए कहा कि एक तरफ हम प्रधानमंत्री आवास दे रहे हैं, दूसरी तरफ गरीबों को उजाड़ने जा रहे हैं। यह न्याय संगत नहीं है। उन्होंने भी विधेयक प्रवर समिति को सौंपने के लिए कहा। इस पर सपा विधायकों ने भी मेज थपथपा कर उनका समर्थन किया।

जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के विधायक रघुराज प्रताप सिंह ने कहा कि यह विधेयक भले छोटा है, लेकिन इसके परिणाम बड़े हैं। उन्होंने कहा कि सिद्धार्थनाथ सिंह और हर्ष वर्धन पार्टी हित में इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में इसे प्रवर समिति को सौंपा जाए। उन्होंने सवाल किया कि एक प्रकरण में पता चला है कि हाईकोर्ट भी नजूल भूमि पर है तो क्या उसे भी खाला कराया जाएगा। उन्होंने सरकार से इस विधेयक पर पुनर्विचार करने की अपील की। निषाद पार्टी के अनिल त्रिपाठी ने संशोधन की मांग करते हुए प्रवर समिति को सौंपने की वकालत की। कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा मोना ने भी विधेयक को जनविरोधी करार देते हुए पुनरविचार पर जोर दिया। कहा कि सरकार इस कानून में संशोधन करें यह कानून गरीबों के घरों को उजाड़ने का कानून है, और जीवन भर की गाढ़ी कमाई से बनाये आशियाने को उजाड़ने वाला है, प्रदेश के लाखों लोगों को बेघर करने वाला है। इस कानून का व्यापक स्तर पर दुरुपयोग होगा। नजूल की भूमि पर सरकारी कार्यालय, अस्पताल बने हैं।



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