{“_id”:”67a8ca6c68048fb5cb02a50f”,”slug”:”up-news-rs-50-per-cow-will-be-given-daily-for-the-maintenance-of-destitute-cows-2025-02-09″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”UP News: निराश्रित गोवंश के भरण-पोषण के लिए प्रति गोवंश मिलेंगे 50 रुपये रोजाना”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
प्रतीकात्मक तस्वीर। – फोटो : Freepik
विस्तार
प्रयागराज महाकुंभ में पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में गो संरक्षण को समग्र बनाने के उद्देश्य से विस्तृत रणनीति बनाई गई। तय हुआ कि प्रदेश के सभी गो-आश्रय स्थलों के आर्थिक स्वावलंबन के लिए कृषि विभाग के सहयोग से वर्मी कम्पोस्ट इकाई स्थापित की जाएगी। निराश्रित गोवंश के भरण-पोषण के लिए प्रति गोवंश मिलेंगे 50 रुपये रोजाना दिए जाएंगे।
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बैठक में बताया गया कि प्रदेश सरकार द्वारा गो संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए 7,713 गो आश्रय स्थलों में 12,43,623 निराश्रित गोवंशों को आश्रय प्रदान किया गया है। मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत 1,05,139 लाभार्थियों को 1,62,625 निराश्रित गोवंश सुपुर्द किए गए हैं, जिसके तहत प्रत्येक लाभार्थी को प्रति माह 1,500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। मकर संक्राति के अवसर पर विशेष अभियान चलाकर कुपोषित परिवारों को 1511 निराश्रित गोवंशों की सुपुर्दगी की गयी।
वृहद गो-संरक्षण केंद्रों की इकाई की निर्माण लागत 1.20 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.60 करोड़ रुपये करते हुए 543 केंद्रों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गयी। वहीं 372 का निर्माण पूरा कर क्रियाशील कर दिया गया है। जिलों में संचालित गो संवर्धन कोष की धनराशि से राजमार्गों, राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे पशुपालकों के पशुओं में रेडियम बेल्ट व गो-आश्रय स्थलों में सीसीटीवी लगाने की प्रक्रिया जारी है। बैठक में शासन के साथ प्रयागराज, विंध्याचल और वाराणसी मंडल के अधिकारी उपस्थित रहे।
पाठ्यक्रम में करेंगे शामिल
बैठक में तय हुआ कि सभी जिलों में गोबर, गोमूत्र से विभिन्न उत्पाद तैयार करने के लिए तकनीक का विकास होगा तथा पशुपालकों व गो-आश्रय स्थल संचालकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। गाय और गो पालन को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करने पर भी प्रदेश सरकार विचार कर रही है, जिससे बच्चों को गाय व उसके दूध के महत्व के बारे में बताया जा सके। गो-आश्रय स्थल संचालकों, चारा उत्पादक कृषकों को चारागाह भूमि पर उत्पादित हरे चारे से साइलेज निर्माण तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा। भारतीय चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी के समन्वय से विभिन्न प्रकार के हरे चारे की किस्मों, नेपियर, एजोला इत्यादि के उत्पादन तकनीक के संबंध में कृषकों तथा गो आश्रय स्थल संचालकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।