
निकाय चुनाव
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बड़ी बड़ी बातें करेंगे। ड्राइंग रूम में अपने सोफों पर बैठकर जम्हूरियत की अच्छाई और बुराई से लेकर नेताओं का पूरा खाका खींच देंगे पर जब मतदान का समय आएगा तो घर से बाहर नहीं निकलेंगे। क्योंकि हम तो पढ़े लिखे हैं। हमें क्या? बात कर रहे हैं उन पढ़े लिखे मतदाताओं की जो शहरों की सरकार चुनने में मतदान केंद्रों तक गए ही नहीं। खास तौर से नगर निगमों में पढ़ी लिखी आबादी निवास करती हैं लेकिन बड़ी संख्या में वोटरों ने मतदान केंद्रों तक जाकर अपने मत का प्रयोग करना जरूरी नहीं समझा।
पहले चरण को लेकर 37 जिलों में मतदान हुआ। तमाम कवायद के बाजवूद मतदान प्रतिशत 50 प्रतिशत ही रह गया। नगर निकाय चुनाव 2017 में प्रदेश भर में तीन चरणों में मतदान हुआ था। पहले चरण में 24 जिलों में कुल 52.85 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया था। इस बार पहले चरण में हम उस आंकड़े को छू भी नहीं पाए। सारे दावे और कवायद धरे रह गए। अहम बात यह है कि यह नगरों का चुनाव है।
पहले चरण में दस नगर निगम शामिल किए गए थे। नगर निगम यानी बड़े शहर। मतलब पढ़े लिखे लोग जहां ज्यादा हैं। बावजूद इसके इन जिलों में स्थिति खराब ही रही। जहां जितने ज्यादा पढ़े लिखे लोग, वहीं उतना कम मतदान हुआ। प्रयागराज में मतदान प्रतिशत पर नजर डालें। मात्र 33.61 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया है। प्रयागराज की साक्षरता दर 72.65 से भी ज्यादा है। यानी जितने पढ़े लिखे लोग हैं, उनमें से आधे भी घर से बाहर नहीं निकले। गोरखपुर में 70.83 प्रतिशत से ज्यादा लोग साक्षर हैं। यहां मतदान का प्रशित मात्र 42.43 ही रहा। राजधानी लखनऊ का भी यही हाल रहा।
यहां 82 प्रतिशत से ज्यादा साक्षरता दर है लेकिन 38.62 प्रतिशत मतदान हुआ। आधे पढ़े लिखे वोटर भी घरों से नहीं निकल पाए। हालांकि मुरादाबाद जैसे जिले में 50 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ। यहां का साक्षरता प्रतिशत 58.67 है। माना जा रहा है कि यहां वह एक बड़ा वर्ग वह वोट डालने निकला है जो निरक्षर है।
निगम के 10 जिलों की साक्षरता दर और मतदान प्रतिशत
सहारनपुर – 74.50 56.37
मुरादाबाद, – 58.67 50.01
गोरखपुर – 70.83 42.43
आगरा – 71.58 40.32
फिरोजाबाद- 71.92 52.26
मथुरा- 72.65 44.03
झांसी- 69.68 53.68
प्रयागराज- 72.3 33.61
लखनऊ 82.30 38.82
वाराणसी 75.60 40.58