Independent councilors can play big role in making Gorakhpur Municipal Corporation Board

गोरखपुर नगर निगम।
– फोटो : अमर उजाला

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नगर निगम बोर्ड बनाने में इस बार फिर निर्दलीय खेवनहार की भूमिका में हो सकते हैं। कम मतदान के चलते सभी राजनीतिक दलों के समीकरण अब बिगड़ गए हैं। भाजपा के बागी और दस नए वार्ड में निर्दलीय मुख्य लड़ाई में हैं। ऐसे में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही है।

नगर निगम बोर्ड में बहुमत के लिए 41 पार्षद के सदस्य की जरूरत है। अब तक इस आंकड़े को कोई भी राजनीतिक दल छू नहीं पाया है। पिछली बार भी भाजपा को निर्दलीय की मदद से ही बोर्ड बनानी पड़ी थी। भाजपा के 22 सदस्य जीते थे और छह बागी बनकर लड़े थे जो बाद भाजपा में वापस हो गए थे। इस बार भी तस्वीर साफ नहीं है। कान्हा उपवन नगर वार्ड में भाजपा प्रत्याशी का निर्दल प्रत्याशी के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है।

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वहीं, नकहा और शिवाजी नगर में भी भाजपा और सपा प्रत्याशियों को निर्दल प्रत्याशी चुनौती दे रहे हैं। भाजपा के बागी प्रत्याशी राजेश तिवारी और जितेंद्र वर्मा पल्लू भी भाजपा की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। वीर शिवाजी नगर से निर्दल प्रत्याशी सौरभ विश्वकर्मा भी भाजपा प्रत्याशी से कांटे के मुकाबले में हैं। नकहा वार्ड से भी भाजपा प्रत्याशी कांटे के मुकाबले में फंसे हुए हैं।

पंडित रामप्रसाद बिस्मिल नगर वार्ड से भी निर्दल प्रत्याशी अफरोज गब्बर की पत्नी कांटे के मुकाबले में है। इसके अलावा नए जुड़े हुए वार्ड में भी पूर्व प्रधानों का पलड़ा भारी है, जिनमें अधिकांश निर्दल हैं। इन पहलुओं पर गौर करें तो नगर निगम में किसी को बहुमत मिलने का संकेत नहीं दिख रहा है।

 



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