उत्तर प्रदेश में एक तरफ रिकॉर्ड बिजली आपूर्ति का दावा किया जा रहा है तो दूसरी तरफ ग्रामीण इलाके में रोस्टर से भी 30 से 40 मिनट कम बिजली दी जा रही है। लोकल फॉल्ट अलग से हैं। ऐसे में बिजली उपभोक्ता परेशान हैं। प्रदेश में बिजली की मांग 31486 मेगावाट पहुंच गई है। दावा है कि उपभोक्ताओं की मांग पूरी की जा रही है, जबकि हकीकत अलग है।

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पॉवर कॉर्पोरेशन की ओर से तय किए गए रोस्टर के अनुसार भी बिजली नहीं मिल पा रही है। ग्रामीण इलाके में 18 घंटे का रोस्टर है, जबकि आपूर्ति 17 घंटे 26 मिनट हुई। इसी तरह नगर पंचायत में 21 घंटे 30 मिनट की जगह केवल 21 घंटे, बुंदेलखंड में 20 घंटे की जगह 19 घंटे 30 मिनट बिजली आपूर्ति की गई। लोकल फॉल्ट अलग से रहा। ऐसे में भीषण गर्मी में उपभोक्ता परेशान रहे।

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विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि नियमों के तहत उत्तर प्रदेश के हर उपभोक्ता को 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए, लेकिन ऊर्जा विभाग ने रोस्टर प्रणाली लागू कर रखा है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा मंत्री रिकॉर्ड आपूर्ति पर जश्न मना रहे हैं, लेकिन वह यह भी बताएं कि यह रिकॉर्ड आपूर्ति कितने घंटे की हुई? क्योंकि जैसे ही मांग का रिकॉर्ड बना, वैसे ही विभिन्न इलाके में ब्रेकडाउन होने लगा। फिर आपूर्ति का ग्राफ नीचे आ जाता है। ऐसे में चंद मिनट का ही रिकॉर्ड बनता है। विभागीय आंकड़े खुद इसकी गवाही दे रहे हैं।



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