बिजली कंपनियों का सरकारी विभागों पर 15569 करोड़ बकाया है। सरकारी विभाग बिजली कंपनियों का बकाया जमा कर दें तो वे घाटे से उबर सकती है। बिजली कंपनियों को एक लाख करोड़ के घाटे में बताया जा रहा है। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों का निजीकरण किया जा रहा है।
सभी बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का कुल बकाया करीब एक लाख 15 हजार करोड़ है। 31 मार्च 2025 तक सरकारी विभागों के राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, अधीनस्थ कार्यालयों और स्थानीय निकायों पर कुल बकाया 15569 करोड़ है। सबसे ज्यादा सरकारी बकाया दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में 5398 करोड़ और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 3193 करोड़ है।
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निजीकरण के लिए प्रस्तावित दोनों बिजली कंपनियों का कुल सरकारी बकाया लगभग 8591 करोड़ है। छह माह के अंदर सरकारी विभागों पर कुल बकाया लगभग 4500 करोड़ है। निजीकरण की बात शुरू होने के बाद कोई सरकारी विभाग इन दोनों बिजली कंपनियों में बिजली का बिल ही नहीं दे रहा है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि केवल सरकारी बकाया बिजली कंपनियों को सरकार तुरंत दे दे तो बिजली कंपनियों की वित्तीय स्थिति ठीक हो जाएगी।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि सभी बिजली कंपनियों में अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक उत्तर प्रदेश सरकार के आईएएस अफसर है। वह सरकारी विभागों के बिजली बकाया को भी नहीं दिला पा रहे हैं । ऐसे में उनकी दक्षता कितनी है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है ।
बिजली कंपनी | कुल सरकारी बकाया |
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम | 5398 करोड़ |
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम | 3193 करोड़ |
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम | 3895 करोड़ |
पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम | 1832 करोड़ |
केस्को विद्युत वितरण निगम कानपुर | 1250 करोड़ |