प्रदेश की बिजली व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ की चेतावनी और ऊर्जा मंत्री एके शर्मा की नाराजगी भी बेअसर साबित हो रही है। कागजों में बिजली भरपूर है। कम मांग और तकनीकी कारणों से 2065 मेगावाट की उत्पादन इकाइयां बंद कर दी गई हैं, लेकिन हकीकत इससे अलग है। उपभोक्ता कटौती झेलने को मजबूर हैं। स्थिति यह है कि गांवों में बमुश्किल 10 घंटे बिजली मिल रही है। इसे देखते हुए अब फीडरवार निगरानी की रणनीति बनाई गई है।

loader

Trending Videos



प्रदेश में करीब 3.50 करोड़ उपभोक्ता है। 10 जून रात को 10.45 बजे 32 हजार मेगावाट बिजली आपूर्ति का रिकॉर्ड बन चुका है। इन दिनों 23566 मेगावाट की मांग है। कागजों में शहरी इलाके में 24 घंटे और गांवों में 18.50 घंटे आपूर्ति का दावा है, लेकिन हकीकत एकदम अलग है। शहरों में लोग ट्रिपिंग से परेशान हैं। लखनऊ में ही 24 घंटे में 8 से 10 बार ट्रिपिंग आम बात हो गई है। ग्रामीण इलाकों का बुरा हाल है। बिजली आपूर्ति के दावे और हकीकत में करीब 8 घंटे का अंतर है। इस अंतर को लोकल फाल्ट नाम दिया गया है। किसी भी स्थान पर फाल्ट होने पर उसे ठीक करने में घंटों लग रहे हैं। इससे उपभोक्ता परेशान हैं। ऊर्जा क्षेत्र के जानकारों के मुताबिक यह प्रबंधकीय असफलता है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *