UP: Privatisation issue heats up with increase in electricity rates, Consumer Council files protest, threatens

यूपी में बिजली व्यवस्था।
– फोटो : अमर उजाला।

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कंपनियों की तरफ से बिजली दरों में बढ़ोतरी के लिए दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) प्रस्ताव के खिलाफ उपभोक्ता परिषद ने मंगलवार को नियामक आयोग में विरोध प्रस्ताव दाखिल किया है। प्रस्ताव में मांग की गई है कि निगमों पर उपभोक्ताओं का बकाया चल रहा 33122 करोड़ पहले दिलाया जाए फिर दरें बढ़ाने पर बात हो।

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार ने नियामक आयोग अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मिलकर पूरे मामले में उपभोक्ताओं का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 19 (3) का पावर कॉर्पोरेशन उल्लंघन कर रहा है। जब वर्ष 2025-26 के लिए एआरआर दाखिल कर दिया है तो फिर निजीकरण नहीं कर सकता है।

उन्होंने आयोग से बिजली बिजली दरों में कमी के लिए संशोधित प्रस्ताव मांगने, दक्षिणांचल व पूर्वांचल के पीपीपी मॉडल पर देने को तत्काल रोने व दोनों निगमों के निदेशक मंडल को तत्काल बर्खास्त कर प्रशासक नियुक्त करने की मांग की। वर्मा ने कहा कि पावर कॉर्पोरेशन कोई लीगल आइडेंटिटी नहीं है ऐसे में उसकी ओर से पीपीपी मॉडल का एलान करना भी कानून की अवहेलना है। उन्होंने आयोग से मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। वर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं का सभी बिजली कंपनियों के पास करीब 5000 करोड़ से ज्यादा की सुरक्षा राशि जमा है। इन दोनों बिजली कंपनियों में भी 2500 करोड़ से ज्यादा की सिक्योरिटी जमा है। ऐसे में उपभोक्ताओं के हितों से खिलवाड़ करना उचित नहीं है।



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