अभिषेक गुप्ता, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: रोहित मिश्र

Updated Sun, 22 Sep 2024 08:33 AM IST

Fake Diamond Market: यूपी में हीरों का बाजार इन दिनों मिलावट से भरा है। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह के घर से मिले करोड़ों के बेशकीमती हीरों की चर्चा छाई है। 



UP: The market is filled with fake diamonds, real diamonds are being sold at a boom, this is how fake diamonds

नकली हीरों का बाजार।
– फोटो : अमर उजाला।

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वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह के घर से मिले करोड़ों के बेशकीमती हीरों की चर्चा छाई है। कहावत है कि खोटा सिक्का अच्छे सिक्के को चलन से बाहर कर देता है। यही बात असली हीरे पर लागू हो रही है, क्योंकि प्रयोगशाला में तैयार मानव निर्मित हीरों ने असली हीरों का 40 फीसदी बाजार छीन लिया है। ये नकली हीरे इस कदर असली दिखते हैं कि ज्वेलर भी नहीं पहचान सकते। कमाई का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि जो असली हीरा पांच लाख रुपये का है, उसी आकार का प्रयोगशाला वाला हीरा महज 25 हजार में बिक रहा है। इन नकली हीरों से डी-बियर्स जैसी दुनिया की सबसे बड़ी डायमंड कंपनी की भारत और यूपी में बाजार हिस्सेदारी 30 फीसदी से घटकर महज 6 फीसदी तक रह गई है। अब मोहिंदर के पास मिले हीरे असली हैं या असली बताकर ठग लिया गया हो, ये भी जांच का विषय हो सकता है।

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लैब में यूं बन रहे हीरे

इन हीरों को सीवीडी (केमिकल वेपर डेपोजिशन) कहा जाता है। जिस तरह बीज से पौधा तैयार होता है, ठीक उसी तरह बेहद छोटे से असली हीरे को कार्बन चेंबर में रखा जाता है। इसमें प्लाज्मा का भी इस्तेमाल होता है। फिर चेंबर में बेहद उच्च ऊर्जा और दबाव डाला जाता है। ये पूरी प्रक्रिया एक रिएक्टर के अंदर पूरी होती है। इस तरह एक हफ्ते में इंसानों द्वारा केमिकल से तैयार असली हीरा तैयार हो जाता है, जबकि इसी प्रक्रिया से प्राकृतिक हीरा बनने में लाखों साल लग जाते हैं। कटिंग और पॉलिश के बाद सीवीडी और असली हीरे में अंतर कोई ज्वेलर भी नहीं बता पाएगा। ये लैब आईआईटी कानपुर और आईआईटी चेन्नई सहित कुछ अन्य तकनीकी संस्थानों में भी लगाने की तैयारी है।



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