UP: Three new laws will be implemented from July 1.

यूपी डीजीपी प्रशांत कुमार।
– फोटो : amar ujala

विस्तार


एक जुलाई से लागू होने वाले तीन नए कानूनों के साथ ही ब्रिटिश राज के औपनिवेशिक कानूनों का अंत हो जाएगा। फिलहाल 30 जून तक पुराने कानूनों के मुताबिक ही मुकदमे दर्ज होंगे। नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों और पेपर लीक कराने वालों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है। नए कानून में छोटे अपराधों पर सजा के बजाय सामुदायिक सेवा पर जोर है।

डीजीपी प्रशांत कुमार ने पत्रकारों को नए कानूनों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इसमें जांचकर्ता हर कदम के लिए उत्तरदायी होंगे। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 पीड़ित को न्याय दिलाने पर केंद्रित है। नए कानून की मंशा तीन साल में न्याय दिलाने और लंबित मामलों को त्वरित निस्तारित करने पर जोर है।

एडीजी प्रशिक्षण सुनील कुमार गुप्ता ने कहा कि छोटे अपराधों की छह धाराओं में आरोपी को सीमित अवधि के लिए कुछ सामुदायिक कार्य करने के लिए दंड का प्रावधान है। किसी भी थाने में जीरो एफआईआर हो सकेगी। इसे बाद में संबंधित पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। बुजुर्ग, दिव्यांग और तीन साल से कम सजा वाले अपराधों में गिरफ्तारी से पहले डीएसपी या ऊपर के रैंक के अधिकारी की अनुमति जरूरी होगी। सात वर्ष के ऊपर सजा वाले अपराधों में फोरेंसिक साक्ष्य अनिवार्य होगा और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य भी मान्य होंगे।

बच्चों की सुरक्षा

– बच्चों से अपराध करवाना, आपराधिक कृत्य में शामिल करना दंडनीय अपराध

– नाबालिग बच्चों की खरीद-फरोख्त जघन्य अपराधों में शामिल

– नाबालिग से गैंगरेप पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड

– पीड़ित का अभिभावक की उपस्थिति में दर्ज होगा बयान

महिला अपराधों में ज्यादा सख्ती

– गैंगरेप में 20 साल की सजा, आजीवन कारावास

– यौन संबंध के लिए झूठे वादे करना या पहचान छिपाना अब अपराध

– पीड़िता के घर पर महिला अधिकारी की मौजूदगी में बयान दर्ज होगा

नए कानूनों में ये खास

– तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी जरूरी

– घटनास्थल की वीडियोग्राफी डिजिटल लॉकर में होगी सुरक्षित

– 90 दिन में शिकायतकर्ता को जांच रिपोर्ट देना अनिवार्य

– गिरफ्तार व्यक्ति की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी

– इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शिकायत के तीन बाद थाने जाकर कर सकेंगे हस्ताक्षर

– 60 दिन के भीतर आरोप होंगे तय, मुकदमा समाप्त होने के 45 दिन में निर्णय

– डिजिटल एवं तकनीकी रिकॉर्ड दस्तावेजों में शामिल

– वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हो सकेगी न्यायालयों में पेशी

– सिविल सेवकों के खिलाफ मामलों में 120 दिन में निर्णय अनिवार्य

– छोटे और कम गंभीर मामलों के लिए समरी ट्रायल अनिवार्य

– पहली बार अपराध पर हिरासत अवधि कम, एक तिहाई सजा पूरी करने पर जमानत



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *