
मानसून की विदाई के संकेत
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मानसून अब विदा होने को है और शरद ऋतु आने वाली है। वैज्ञानिकों के साथ ही प्रकृति भी अब इसके संकेत देने लगी है।
‘फूले कास सकल महि छाई, जनु बरसा कृत प्रकट बुढ़ाई’
गोस्वामी तुलसीदास ने ये चौपाई श्रीराम चरित मानस में लिखी है। रास्तों, ताल, नदी आदि के किनारे नम मिट्टी में खिल चुके श्वेत कास के फूलों को, बूढ़ी हो चली वर्षा रानी के सफेद बालों की उपमा देते हुए सदियों से बुजुर्ग और अन्नदाता किसान वर्षा ऋतु के विदा-काल और शरद ऋतु की आहट का प्रतीक मानते रहे हैं। कास के सफेद फूल दो मौसमों के बीच संधि-सेतु के प्रतीक भी हैं, जब वर्षा ऋतु विदा ले रही होती है और शरद ऋतु के आगमन की आहट होती है।
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह का कहना है कि एक जून से शुरू ‘मानसून सीजन’ का आज 30 सितंबर को समापन हो गया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बारिश लगभग खत्म है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश से मानसून की वापसी के लिए परिस्थितियां अनुकूल दिख रही हैं। बंगाल की खाड़ी से चलने वाली पूर्वा हवा और वातावरण में नमी भी प्रभावी रूप से कम होती दिख रही है। मानसून विदड्रॉल लाइन फिलहाल राजस्थान, हरियाणा, पंजाब से हो कर गुजर रही है। हिमांचल और जम्मू कश्मीर से भी मानसून विदड्रॉल सुनिश्चित हो जाये तो हम औपचारिक तौर पर मानसून की विदाई मान सकते हैं।
रविवार से सोमवार के बीच प्रदेश के रायबरेली, बांदा,अमेठी, मिर्जापुर, गाजीपुर आदि में हल्की बारिश देखने को मिली। मंगलवार को प्रदेश के पूर्वी हिस्से में कहीं कहीं छिटपुट बूंदाबांदी के आसार हैं। इसके बाद आसमान साफ होगा और धूप निकलने से तापमान में क्रमशः बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। राजधानी की बात करें तो यहां भी सोमवार को कहीं कहीं मामूली बूंदाबांदी से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके बाद लखनऊ में भी आसमान साफ रहेगा।