UP: Workers are disappointed due to AAP giving walkover, they are maintaining distance from the party, workers

आम आदमी पार्टी।
– फोटो : अमर उजाला।

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आम आदमी पार्टी (आप) लोकसभा के बाद प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव में भी मैदान में नहीं उतरेगी। एक के बाद एक चुनाव से पार्टी का दूरी बनाना, कार्यकर्ताओं में निराशा बढ़ा रहा है। पार्टी के पदाधिकारी भी इसकी वजह से अब पार्टी से दूरी बनाने लगे हैं। वहीं लंबे समय से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष भी नहीं तय कर पा रही है। इसका भी असर पड़ रहा है।

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आप प्रदेश में पिछले कुछ महीनों से लगभग निष्क्रिय सी है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के नेताओं ने इंडी गठबंधन को समर्थन किया। इसकी वजह से इनके नेताओं की सभाएं भी कम हुईं। वहीं पार्टी हरियाणा, दिल्ली आदि प्रदेश में तो जोर-शोर से चुनाव में उतरी व प्रचार-प्रसार भी कर रही है, किंतु उत्तर प्रदेश में दो बार तिथि तय होने के बाद प्रदेश स्तरीय सम्मेलन तक नहीं हो पा रहा है।

अब पार्टी की ओर से 13 अक्तूबर को प्रदेश स्तरीय सम्मेलन के आयोजन की घोषणा की गई है। इसी तरह पार्टी ने तिरंगा शाखा को सक्रिय करने की घोषणा की, लेकिन वह अभियान भी गति नहीं पकड़ सका। इसमें लोगों को पार्टी से जोड़ना था। दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष न होने का भी असर पार्टी की गतिविधियों पर पड़ रहा है। न तो किसी भी घटना-दुर्घटना पर पार्टी के नेता पहुंच पाते हैं, न ही पार्टी का प्रतिनिधित्व हो पा रहा है।

पार्टी छोड़ने वालों को वापस जोड़ेंगे : संजय सिंह

हालत यह है कि पिछले दिनों लखनऊ के जिलाध्यक्ष शेखर दीक्षित ने पार्टी छोड़ दी। हालांकि आप के प्रदेश प्रभारी व राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि 13 अक्तूबर के सम्मेलन के बाद काफी चीजें स्पष्ट हो जाएंगी। हम पूरे जोर-शोर से प्रदेश में संगठन का पुनर्गठन करेंगे। इसके बाद आगे पार्टी प्रदेश में चुनाव में भी उतरेगी। पार्टी कार्यकर्ताओं को निराश होने की जरूरत नहीं है। जो पार्टी छोड़कर गए हैं, हम उनको भी जोड़ेंगे।

 



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