औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने अपने लिखित पत्र में विभाग पर गड़बड़ियों के तमाम आरोप लगाए हैं। ऐसे ही एक मामले की शिकायत में कहा है कि नोएडा की एक कंपनी को करोड़ों रुपये का अनुचित फायदा पहुंचाया गया और शिकायतों के बावजूद चुप्पी साध ली गई। उच्च पदस्थ सूत्रों ने मंत्री के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
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नंदी ने अपने शिकायती पत्र में अफसरशाही पर मनमानेपन का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि एम्बिएंस इन्फ्रास्ट्रक्चर कम्पनी को 18 जुलाई 2007 को नोएडा प्राधिकरण ने एक जमीन आवंटित की थी, जिसकी लीज डीड वर्ष 2018 को की गई। बीच के समय को जीरो पीरियड का अनुचित लाभ दिया गया ताकि कंपनी को ब्याज व दंड न देना पड़े। इस प्रकार आवंटी को 2018 में 11 वर्ष बाद 2007 की दर पर भूखंड मिल गया। इसके बाद भी वर्ष 2022 तक आवंटी ने सैकड़ों करोड़ रुपये की देनदारी का भुगतान नहीं किया और न ही निर्माण के लिए कोई मानचित्र दाखिल किया। इतना ही नहीं आवंटी ने भूखंड एक थर्ड पार्टी को बेच दिया और सैकड़ों करोड़ का प्रीमियम हड़प लिया। पत्र में कहा गया है कि इस साजिश के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाया गया। पत्रावली पर आवंटन निरस्त कर कब्जा प्राप्त करने के आदेश तो हुए लेकिन कार्यवाही पर चुप्पी साध ली गई।
अधूरी पड़ी (लीगेसी स्टाल्ड) ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं को पूरा करने के लिये सह विकासकर्ता का शासनादेश 21 दिसंबर 2023 को किया गया था। आरोप लगाया गया है कि इस मामले की अनियमितताओं पर पर्दा डालने और थर्ड पार्टी को सह विकासकर्ता के रूप में दिखाने के लिये इस प्रकरण को प्राधिकरण की बोर्ड बैठक के एजेंडा में शामिल कर लिया गया। जबकि भूखण्ड के थर्ड पार्टी को ट्रांसफर व मानचित्र पास कराने की तारीखों (दिसम्बर 2022 व अप्रैल 2023) तक लीगेसी स्टाल्ड ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं के लिए शासनादेश अस्तित्व में ही नहीं था। अभी भी इस प्रोजेक्ट में फ्लैट की रजिस्ट्रियां की जा रहीं हैं।