रुपये लेने के बाद भी बैंक कैशियर ने एफडी की एंट्री नहीं कराई। जरूरत पड़ने पर वादी बैंक गए तो पता चला कि उनसे नाम से कोई एफडी नहीं हुई। उन्होंने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम में वाद दायर किया। आयोग के अध्यक्ष सर्वेश कुमार ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से 6 प्रतिशत ब्याज सहित 24.84 लाख रुपये का चेक जमा कराकर वादी को सौंप दिया।
राजस्थान के जिला कोटा के नीलांचल अपार्टमेंट श्रीनाथ पुरम निवासी रोहित जौहरी ने अधिवक्ता के माध्यम से आयोग में वाद दायर किया था। आरोप लगाया था कि उन्होंने अपनी और पत्नी शिखा जौहरी के नाम से जून 2010 के जून माह में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की सिकंदरा शाखा में 11 लाख रुपये की तीन एफडी कराई थी। बैंक के कैशियर प्रदीप सक्सेना को रुपये जमा कराए थे। उन्होंने उन्हें एफडी का प्रमाणपत्र भी दिया। जिसकी अवधि 6 महीने थी।
उन्हें रुपयों की जरूरत नहीं थी। इस वजह से वह एफडी का नवीनीकरण कराते रहे। सितंबर 2014 में रुपयों की जरूरत पड़ने पर बैंक पहुंचे। तत्कालीन बैंक शाखा प्रबंधक से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि उनके वादी और उसकी पत्नी के नाम से कोई एफडी की जमा राशि की बैंक में कोई प्रविष्टि ही नहीं है। यह सुनकर उनके होश उड़ गए। कई बार बैंक के चक्कर लगाने के बाद भी समाधान नहीं हुआ था।