एमबीबीएस में दाखिले के नाम पर 100 करोड़ रुपये की ठगी कर चुके दो जालसाज, बिहार के औरंगाबाद निवासी प्रेम प्रकाश विद्यार्थी और उसके साथी समस्तीपुर निवासी संतोष कुमार को मंगलवार देर रात साइबर क्राइम पुलिस ने चिनहट के कठौता इलाके से गिरफ्तार किया। आरोपी स्टडी पाथवे नाम से कंसल्टेंसी सेंटर खोलकर लोगों से एमबीबीएस में दाखिला दिलाने के नाम पर ठगी कर रहे थे।

डीसीपी क्राइम कमलेश दीक्षित ने बताया कि कुछ दिन पहले विभूतिखंड और साइबर क्राइम थाने में एमबीबीएस में दाखिले के नाम पर अलग-अलग लोगों ने स्टडी पाथवे कंसल्टेंसी के लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। आरोप था कि कंसल्टेंसी के कर्मचारियों ने उन लोगों से दाखिले के नाम पर लाखों रुपये की ठगी की थी। जांच में पता चला कि स्टडी पाथवे कंसल्टेंसी का दफ्तर विभूतिखंड इलाके में है। पुलिस जब वहां पहुंची तो दफ्तर बंद मिला। वहां काम करने वाले लोग भाग चुके थे। जांच में पता चला कि कंसल्टेंसी का मुख्य संचालक अभिनव शर्मा है, जिसका असली नाम प्रेम प्रकाश विद्यार्थी है। संतोष कुमार उसका मुख्य सहयोगी है।

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मंगलवार देर रात दोनों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली। पूछताछ में प्रेम प्रकाश ने बताया कि वह चिनहट स्थित एक अपार्टमेंट में पेंट हाउस किराये पर लेकर रह रहा था। अब तक दर्जनों लोगों से एमबीबीएस में दाखिले के नाम पर 100 करोड़ रुपये की ठगी कर चुका है। वह बाराबंकी स्थित हिंद मेडिकल कॉलेज में दाखिले का झांसा देता था। इसके लिए उसने हिंद मेडिकल कॉलेज के नाम से कई फर्जी बैंक खाते खुलवा रखे हैं।

डीसीपी ने बताया कि आरोपी प्रेम प्रकाश के खिलाफ दिल्ली, बिहार, गुजरात, लखनऊ, गोरखपुर, नोएडा, बिजनौर, सहारनपुर और प्रयागराज में धोखाधड़ी व जालसाजी के कुल 18 केस दर्ज हैं।

इस तरह लोगों को जाल में फंसाते थे

इंस्पेक्टर साइबर क्राइम थाना बृजेश यादव ने बताया कि जो छात्र नीट की परीक्षा देते थे और कम अंक आने की वजह से उनको अच्छा कॉलेज नहीं मिल पाता था, वह टारगेट होते थे। ऐसे छात्रों की डिटेल प्रेम प्रकाश ऑनलाइन कंपनियों से खरीदता था। ऐसे छात्रों से सोशल नेटवर्किंग साइट के माध्यम से संपर्क करता था। छात्र और उनके अभिभावकों को बातचीत करने के लिए विभूतिखंड स्थित स्टडी पाथवे कंसल्टेंसी के दफ्तर बुलाता था। दाखिले के इच्छुक लोगों से डिमांड ड्राफ्ट, ऑनलाइन पेमेंट या नकद रुपये ऐंठ लेता था।

आरोपियों के पास से मिले ये सामान

तीन मोबाइल फोन, छह कंप्यूटर, एक राउटर, एक डोंगल, दो मुहर, हिंद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के नाम की एक चेक बुक, एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड और 4.98 लाख रुपये नकद।



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