
अमर उजाला की खबर पर एनजीटी ने लिया स्वत: संज्ञान
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आगरा के फतेहाबाद में उटंगन नदी पर रिसॉर्ट बनाकर किए गए कब्जे की अमर उजाला में दो मई को प्रकाशित खबर पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने स्वत: संज्ञान लिया है। एनजीटी की बेंच ने इस मामले में आगरा के डीएम, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरपर्सन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, ज्यूडिशियल मेंबर जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और एक्सपर्ट मेंबर डॉ. ए सेंथिल वेल ने अमर उजाला में दो मई को प्रकाशित खबर `उटंगन नदी पर हो गया कब्जा, सोते रहे अफसर` पर स्वत: संज्ञान लिया। याचिका नंबर 654/2024 में एनजीटी बेंच ने आगरा के डीएम समेत चार विभागों को नोटिस जारी किए हैं और उनसे अगली सुनवाई 18 सितंबर से कम से कम एक सप्ताह पहले अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
नदी पर अवैध रूप से बनाया पक्का पुल
मामले में एनजीटी बेंच के सामने तथ्य रखे गए कि फतेहाबाद से गुजरने वाली उटंगन नदी पर अतिक्रमण किया गया है। इस नदी के पास तीन साल से रिसॉर्ट बनाने का काम चल रहा है। करीब एक साल पहले नदी पर अवैध रूप से पक्का पुल बना दिया गया था। सड़क पर अतिक्रमण कर उस पर गेट लगा दिया गया। आरोप है कि रिसॉर्ट मालिक पक्ष की ओर से उटंगन नदी पर स्थाई पुल बनाकर पानी रोक दिया गया है। बाह तहसील के डूब क्षेत्र में रिसॉर्ट बनाया जा रहा है। साथ ही जंगल के बीच से सड़क भी बनाई गई है। पक्की सड़क बनाने के साथ नदी के सामने एक बड़ा गेट भी लगाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि 7 साल पहले जंगल के बीच से पक्की सड़क बनाई गई थी, तब वन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।
जल अधिनियम के उल्लंघन का है मामला
यह मामला जल (संरक्षण और संरक्षण) अधिनियम, 1974 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधानों का उल्लंघन है। इस मामले में एनजीटी ने सुप्रीम र्को के अंकिता सिन्हा मामले का जिक्र किया। सर्वोच्च न्यायालय ने “ग्रेटर मुंबई नगर निगम बनाम अंकिता सिन्हा और अन्य” के मामले में मामले को स्वत: संज्ञान में लेने की ट्रिब्यूनल की शक्ति को मान्यता दी है। मामले में 18 सितंबर को आगरा के डीएम समेत केंद्र और राज्य सरकार के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा पर्यावरण मंत्रालय को सुनवाई से एक सप्ताह पहले जवाब दाखिल करना है।