खेरागढ़ के गांव कुसियापुर में चामड़ माता के मंदिर पर दुर्गा प्रतिमा स्थापना के बाद हंसी खुशी के माहौल पर विसर्जन के दिन हुए हादसे ने परिवारों को दर्द दिया। किसी के घर का चिराग बुझ गया तो किसी की मांग का सिंदूर उजड़ गया। बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया। एक सप्ताह पहले तक जहां मंगलगीत गज रहे थे, वहां पर अब करुण क्रंदन ही सुनाई दे रहा है। गांव के हर घर में लोगों की आंखों में आंसू हैं। हादसे के बाद जिसने भी सर्च ऑपरेशन को देखा वह परिवारों का हाल देखकर रोता नजर आया।

भईया बुस्सत देय ग्यो मोई हाथ में, मैंने बेटा तै मना करी
6 दिन से लापता सचिन के पिता रामवीर बेटे का शव मिलने के इंतजार में सुबह से ही नदी किनारे मायूस बैठे थे, बेटे के गम में उनकी आँखे पथरा गई। घर पर सचिन की माँ पप्पी देवी रोये जा रहीं थीं। घटना वाले दिन वह भी बेटे के साथ मूर्ति विसर्जन करने के लिए साथ में गई थी। माँ पप्पी देवी रो-रो कर सिसकते हुए बस सचिन को ही पुकारे जा रहीं है। रोते रोते कहे जा रहीं है कि भईया बुस्सत देय ग्यो मोई हाथ में, मैंने बेटा तै मना करी। सचिन कि दादी अनुसूईया देवी दहाड़े मार कर रो रहीं है। बहन खुशबु रो-रो कर भाई को पुकार रहीं थी। सचिन का बड़ा भाई अंकित है।

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विलाप करते परिजन
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
दीपक की मां बेसुध हो गई, बहन का हाल बेहाल
दीपक चार भाइयों में सबसे छोटा था। उसके पिता की 6 साल पहले बीमारी के चलते मृत्यु हो चुकी है। दीपक का शव सेना के जवानों ने नदी से बाहर निकाला। यह देख नदी किनारे बैठे परिजन में चीख पुकार मच गई। भाई के मिलने के इंतजार में बैठी उसकी बड़ी बहन नीलम दीपक के शव की ओर दौड़ पड़ी। भाई का शव देख वो होश खो बैठी, बेसुध होकर गिर पड़ी। दीपक के बड़े भाई मोनू ने बहन को संभाल कर पानी के छींटे मारे, होश आने पर बस भाई को पुकारे जा रहीं थी। माँ तुलसी देवी रो-रो कर बेसुध गईं। भाई मोनू, सुदामा नन्दकिशोर दीपक को याद कर रोते रहे।

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विलाप करते परिजन
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
परिवार को संभालना हुआ मुश्किल
गजेंद्र (20) पुत्र रेवती प्रसाद तीन भाईयों में सबसे छोटा था। माँ कमलेश देवी का बेटे की मौत से रो-रो कर हाल बेहाल है। गजेंद्र का नाम लेकर छह दिन से रो रहीं थीं। पड़ोस की महिलायें उन्हें संभाल रहीं है। छोटी बहन आरती फूट-फूट कर रो रही थी। भाइयों जयप्रकाश और यशपाल के आंसू भी नहीं रुक रहे। वो खुद के साथ परिवार को भी संभाल रहे थे। मृतक गजेन्द्र मजदूरी करता था। मां पिता का दुलारा था।

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विलाप करते परिजन
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
दोनों बेटों को खो दिया
हरेश का शव मिलते ही परिजन में चीख-पुकार मच गई। पिता यादव सिंह पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनके दो बेटे थे। दोनों ही उटंगन नदी हादसे का शिकार हो गए। हादसे में उनके दोनों बेटे गगन व हरेश की मौत हो गई। गगन का शव घटना के दिन दिन ही मिल गया था। मंगलवार शाम को हरेश का शव मिला है। घर के दोनों चिराग बुझ जाने से माता-पिता यादव सिंह व प्रेमवती सदमे में है। घर के करुण क्रंदन से गांव में हर कोई रोता नजर आया।

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13 लोगों के नदी में डूबने पर विलाप करते परिजन
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
हर गली में पसरा है मातम
कुसियापुर गांव के लोगों का कहना था कि नदी में डूबे 12 युवकों के अपने अलग सपने थे लेकिन उटंगन नदी ने सब कुछ निगल लिया। छह दिन तक चली जद्दोजहद के बाद जब आख़िरी शव बरामद हुआ, तो पूरे गांव में सन्नाटा छा गया। अपने लाडले बेटे को खोने वाली माताओं की आंखें अपने लाल को खोजती रहीं, बेबस पिता बस नदी की लहरों में उम्मीद तलाशते रहे। जिन गलियों में कभी इन युवाओं की हंसी गूंजती थी, वहां अब मातम पसरा हुआ है। कुसियापुर गांव ने अपने 12 बेटों को खो दिया और साथ ही खो दिए वो अधूरे सपने, जो अब सिर्फ यादों में जिंदा रहेंगे।