
पर्वत सिंह बादल उरई (ब्यूरो चीफ जालौन)✍🏻
(उरईजालौन) उरई: उत्तर प्रदेश अपनी उ०प्र० कृषि निर्यात नीति-2019 को अधिसूचित करने वाला देश का प्रथम राज्य है। ज्येष्ठ कृषि विपणन निरीक्षक धीर पाल सिंह ने बताया कि उ०प्र० कृषि निर्यात नीति 2019 में प्राविधानित प्रोत्साहन-
1- निर्यात उन्मुख क्लस्टर को अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रोत्साहन राशि एफ०पी०ओ/एफ०पी०सी०/किसान समूह को 50 हे0 से 100 हे० तक क्लस्टर बनाकर कुल उत्पादन का न्यूनतम 30 प्रतिशत मात्रा में निर्यात करने पर 05 वर्षों में रु० 10 लाख देय है।
2- क्लस्टर्स के निकट स्थापित की जाने वाली नवीन प्रसंस्करण इकाईयों के लिए निर्यात आधारित प्रोत्साहन रू० टर्न ओबर का 10 प्रतिशत अथवा रू0 25 लाख जो भी कम है देय है।
3- कृषि उत्पादों व प्रसंस्कृत वस्तुओं के निर्यात हेतु वास्तविक भुगतान किये गये भाड़े का 25 प्रतिशत तथा प्रतिवर्ष अधिकतम 20 लाख प्रति फर्म/निर्यातक देय है। (मांस व चीनी पर देय नही)
4- कृषि निर्यात/पोस्ट हार्वेस्ट प्रबंधन और प्रौद्योगिकी में डिग्री/डिप्लोमा/सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम हेतु संस्थाओं के छात्रो को वार्षिक फीस का 50 प्रतिशत (50 हजार) 15 महीने से अधिक अवधि के पाठ्यक्रम हेतु रू0 01 लाख तथा निर्यात उन्मुख शिक्षा कार्यक्रम प्रारम्भ करने वाले राजकीय संस्थानों को एक मुश्त रू0 50 लाख का अनुदान देय है। 5-कृषि निर्यात (उत्पाद/ उत्पादन) में प्रयुक्त विर्निदिष्ट कृषि उपज पर मण्डी शुल्क एवं विकास सेस से छूट देने का प्राविधान है।
6- अच्छी कृषि पद्धतियों का कार्यान्वयन हेतु प्रदेश के एफ०पी०ओ०/एफ०पी०सी०/कृषक समूह/प्रगतिशील किसानों को अनुदान-Good Agricultural Practices मे अथवा समकक्ष प्रमाणीकरण हेतु कुल व्यय का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम रुपया-1.50 लाख एक वित्तीय वर्ष में। जैविक / प्राकृतिक अथवा समकक्ष प्रमाणीकरण हेतु कुल व्यय का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम रुपया 1.00 लाख एक वित्तीय वर्ष में। कृषि एवं कृषि प्रसंस्कृत उत्पाद के नमूनों का आयातक देश के एम०आर०एल० (Maxi-Residue level) मानकों के अनुसार परीक्षण हेतु कुल व्यय का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम रु०-1.00 लाख एक वित्तीय वर्ष में देय है।
➤ जनपद जालौन में पंजीकृत बुन्देलखण्ड कठिया गेहूं के अधिकृत उपयोगकर्ता बनवाने हेतु उनके उत्पादकों के लगभग 50 आवेदन तैयार करवा लिए गये है, जिन्हें पंजीयन हेतु चेन्नई कार्यालय को शीघ्र प्रेषित किये जा रहे है।
जी०आई० टैग वाले कृषि उत्पादों के लाभ एवं महत्व-
जी०आई० टैग किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले कृषि उत्पाद को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है। जी०आई० टैग के द्वारा कृषि उत्पादों के अनधिकृत प्रयोग पर अंकुश लगाया जा सकता है। यह किसी भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित होने वाले कृषि उत्पादों का महत्व बढ़ा देता है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जी०आई० टैग को एक ट्रेडमार्क के रूप में देखा जाता है। इससे निर्यात को बढ़ावा मिलता है, साथ ही स्थानीय आमदनी भी बढ़ती है। विशिष्ट कृषि उत्पादों को पहचान कर उनका भारत के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निर्यात और प्रचार-प्रसार करने में आसानी होती है।