Praveen of Gorakhpur worked tirelessly to save people trapped in tunnel

बाएं प्रवीण यादव।
– फोटो : अमर उजाला।

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 उत्तरकाशी स्थित सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने का रेस्क्यू मेरे जीवन का सबसे कठिन व खतरनाक पल था। ऑपरेशन के दौरान हमें हर दिन एक-दो घंटे ही आराम मिलता था। 45 मीटर से अधिक दूरी तक पाइप में रेंगते हुए पहुंचे। एक समय ऐसा भी आया कि अंदर दम घुटने से हमारी सांसें फूलने लगीं। लगा कि दम निकल जाएगा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। मजदूर बाहर सुरक्षित निकले तो सभी की आंखों में खुशी के आंसू थे। यकीन मानिए, लोगों का जीवन बचाने वाले दल में होने की खुशी ऐसी थी कि बयां नहीं कर सकता।

सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को 17 दिन बाद सुरक्षित बाहर निकालने वाली रेस्क्यू टीम की अगुवाई करने वाले प्रवीण यादव गोरखपुर के निवासी हैं। उनके मुताबिक, इस अभियान के दौरान कई उतार-चढाव आए। कई बार उम्मीदें पस्त होती दिखीं, लेकिन जान बचाने का हौसला रखने वालों ने उम्मीदें नहीं छोड़ीं। सभी के सुरक्षित बाहर निकलने के बाद प्रवीण और उनकी टीम को चारों तरफ से बधाई मिल रही है। उनके घर व ससुराल पहुंचकर भी लोग बधाई दे रहे हैं।

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प्रवीण यादव ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग के भूमिगत सुरंग विशेषज्ञ हैं। वह गोरखपुर के रघुवाडीह गांव के रहने वाले हैं, जबकि उनकी ससुराल मोहद्दीपुर के बिछिया में है। फोन पर बातचीत में प्रवीण ने बताया-हादसे के वक्त दिल्ली में घर पर था। मुझे और मेरी टीम को तत्काल बुलाया गया। रेस्क्यू ऑपरेशन में जब ऑगर ड्रिल मशीन के रास्ते में एक धातु का गार्डर आया, तब मैं 45 मीटर से अधिक दूरी तक पाइप में रेंगते हुए पहुंचा। मशीन को फिर से चालू करने के लिए तीन घंटे से कठिन परिश्रम के बाद गैस कटर की मदद से पाइप को काटा गया।

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