मंदिर के पुजारियों ने किया वैकुंठ द्वार पर पाठ
भगवान रंगनाथ की सवारी वैकुंठ द्वार पर पहुंचने पर मंदिर के श्री महंत गोवर्धन रंगाचार्य जी के नेतृत्व में सेवायत पुजारियों ने पाठ किया । करीब आधा घण्टे तक हुए पाठ और अर्चना के बाद भगवान रँगनाथ, शठ कोप स्वामी,नाथ मुनि स्वामी और आलवर संतों की कुंभ आरती की गई। वैदिक मंत्रोचार के मध्य हुए पूजा पाठ के बाद भगवान रंगनाथ की सवारी मन्दिर प्रांगड़ में भृमण करने के बाद पौंडानाथ मन्दिर जिसे भगवान का निज धाम वैकुंठ लोक कहा जाता है में विराजमान हुई। यहां मन्दिर के लोगों ने भगवान को भजन गा कर सुनाए।
वैकुंठ एकादशी पर खुलता है वैकुंठ द्वार
वैकुंठ द्वार से निकलने की चाह में लाखों भक्त रात से ही मन्दिर परिसर में एकत्रित होना शुरू हो गए। मन्दिर के पुजारी स्वामी राजू ने बताया कि 21 दिवसीय वैकुंठ उत्सव में 11 वें दिन वैकुंठ एकादशी पर्व पर वैकुंठ द्वार खोला जाता है । यह एकादशी वर्ष की सर्वश्रेष्ठ एकादशियों में से एक मानी जाती है। मान्यता है कि वैकुंठ एकादशी पर जो भी भक्त वैकुंठ द्वार से निकलता है उसे वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती हैं।
वर्ष में एक बार खुलता है वैकुंठ द्वार
मन्दिर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनघा श्री निवासन ने बताया कि अलवार आचार्य वैकुंठ उत्सव के दौरान अपनी रचित गाथाएं भगवान को सुनाते हैं। वैकुंठ एकादशी के दिन दक्षिण के सभी वैष्णव मन्दिरों में वैकुंठ द्वार ब्रह्म मुहूर्त में खुलता है। इसी परम्परा का निर्वाहन वृन्दावन स्थित रँगनाथ मन्दिर में किया जाता है। वर्ष में एक बार खुलने वाले वैकुंठ द्वार पर बेहद ही आकर्षक सजावट की गई। द्वार को सजाने के लिए करीब एक हजार किलो से ज्यादा विभिन्न प्रजाति के फूल वृंदावन,दिल्ली और बैंगलुरू से मंगाए गए। इसके साथ ही वैकुंठ लोक में की गई लाइटिंग अहसास करा रही थी कि जैसे भगवान वैकुंठ धाम में विराजमान हों। वैकुंठ एकादशी के अवसर पर भगवान रंगनाथ के दर्शन कर भक्त आनंदित हो उठे।
यह है मान्यता
वैकुंठ एकादशी पर वैकुंठ द्वार खुलने के पीछे मान्यता है कि दक्षिण भारत के अलवार संतों ने भगवान नारायण से जीवात्मा के उनके निज वैकुंठ जाने के रास्ता के बारे में पूछा। जिस पर भगवान ने वैकुंठ एकादशी के दिन वैकुंठ द्वार से निकलने की लीला दिखाई। यह परंपरा आज भी श्री रंगनाथ मंदिर में पारंपरिक नियमानुसार मनाई जा रही है।