
कचहरी स्थित मालखाने के बाहर तैनात पुलिसकर्मी।
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वाराणसी के कचहरी परिसर में जिला प्रोबेशन कार्यालय के ठीक पास बना सदर मालखाने भवन पर करीब 28 हजार साक्ष्यों के रखरखाव की जिम्मेदारी है। ताकि अपराधियों को सजा दिलवाई जा सके। बहरहाल यह मालखाना खुद ही रखवाली नहीं कर पा रहा है। बारिश में इसकी छत टपक रही है। मुख्य गेट की चौखट लकड़ी की लगभग सड़ चुकी है। 1971 में बने इस मालखाने में करीब 28 हजार से अधिक साक्ष्य हैं, मगर रखरखाव ऐसा है कि एक भी नहीं तलाश सकते हैं। इसके चलते इतने ही मामलों कोई फैसला नहीं हो पा रहा है।
हत्याओं के मुकदमें प्रयोग हुए असलहों पर जंग लग चुकी है। कई तो गल गए हैं, सबूतों की जो फाइलें बनाकर कपड़ों की जिल्द में समेटी गईं थी वह भी गल चुकी हैं, उन पर लिखे केस नंबरों का कहीं कोई अता पता नहीं है।
इस मालखाने में सिर्फ वाराणसी से जुड़े मुकदमों के ही साक्ष्य नहीं रखे हैं बल्कि चंदौली और भदोही के भी साक्ष्य हैं। कई बार तो इसमें सांप भी निकल आते हैं और चूहे तो अक्सर दौड़ते दिखाई देते हैं।