युवाओं में बढ़ते मानसिक विकार में नशाखोरी बड़ी वजह बन रहा है। इससे मरीजों की नस सिकुड़ने और अवसाद के शिकार होने के केस आ रहे हैं। फतेहाबाद रोड स्थित होटल में एसोसिएशन फॉर क्लिनिकल साइकेट्री (एसीपी) की दो दिवसीय कार्यशाला में चिकित्सकों ने इस पर चिंता जताई। ऑनलाइन इलाज से मानसिक विकारों के गंभीर बनने के खतरों पर भी डॉक्टरों ने व्याख्यान दिया।

एसीपी के नवनियुक्त अध्यक्ष डॉ. यूसी गर्ग ने बताया कि युवा नशे की लत को पूरा करने के लिए कई तरह के खतरनाक मादक पदार्थों का उपयोग कर रहे हैं। इसका दुष्प्रभाव दिमाग समेत शरीर के सभी अंगों पर पड़ रहा है। इससे नींद, भूख और याददाश्त प्रभावित हो रही है। लंबे समय तक ऐसी स्थिति से नस सिकुड़ने, अवसाद और सिजोफ्रेनिया की बीमारी मिल रही है। 

आयोजन अध्यक्ष डॉ. केसी गुरनानी ने बताया कि स्क्रीन एडिक्शन से हर तीसरा व्यक्ति प्रभावित हो रहा है। देर रात तक बेवजह मोबाइल-लैपटॉप देखने से सिर में दर्द, आंखों की नजर कमजोर, नस और चेहरे पर सूजन समेत अन्य परेशानी हो रही हैं। भूख-प्यास भी प्रभावित हो रही है। 

इससे पहले मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल, विशिष्ट अतिथि एसएन प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने उद्घाटन किया। कार्यशाला में डॉ. विशाल सिन्हा, डॉ. काश्यपी गर्ग, डॉ. अनुराग वर्मा, डॉ. अब्दुल मजीद, डॉ पीके दलाल, डॉ. वेणुगोपाल झांवर, डॉ. पार्थ बघेल, डॉ. रश्मि शुक्ला, डॉ. मनोज साहू, डॉ. आदित्य प्रिया आदि ने भी व्याख्यान दिए।

ऑनलाइन इलाज से मानसिक विकार बन रहे गंभीर

कार्यशाला में भारतीय डिजिटल क्रांति का मानसिक स्वास्थ्य एवं मनोचिकित्सा पर व्याख्यान विषय पर निवर्तमान अध्यक्ष डॉ. एससी तिवारी ने कहा कि लोग सोशल मीडिया, एप से बीमारी का इलाज कर रहे हैं। इसमें मर्ज कितना गंभीर है, कितनी डोज देनी है, बीमारी की वजह क्या है, इन सभी की कोई जानकारी नहीं होती है। 

इससे दवाओं के गलत उपयोग से बीमारी गंभीर बन रही हैं। कोलकाता के डॉ. गौतम साहा, हैदराबाद के डॉ. के. अशोक रेड्डी और चंडीगढ़ के डॉ. परम कुल्हारा ने कहा कि इलाज में डिजिटल की भूमिका के बारे में बताया। बेंगलुरू के डॉ. सी. नवीन कुमार ने टेलीमानस के 24 घंटे इलाज सेवा के प्रचार-प्रसार की जरूरत बताई।

डॉक्टरों ने ये दी है सलाह

– तंबाकू, एल्कोहल समेत किसी भी तरह के नशे से दूर रहें।

– 6 से 8 घंटे एकमुश्त नींद लें। सोने से दो घंटे पहले तक स्क्रीन न देखें।

– 45 मिनट तक स्क्रीन देखने के बाद 5 मिनट का ब्रेक लें, आंख-मुंह धोएं।

– मानसिक विकार की परेशानी बनने पर एप-सोशल मीडिया के इलाज से बचें।

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